Kanpur: 1979 में हुआ था नरसंहार, 44 साल तक चली न्याय के लिए मुहिम, अब 5 दोषियों को उम्रकैद
Kanpur News: न्याय के लिए एक परिवार को 44 साल का इंतजार करना पड़ा और जब हत्याकांड में दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई तो वह भी अपनी उम्र की आखिरी दहलीज पर पहुंच गए हैं.
Kanpur Crime News: साल 1979 में कानपुर देहात (Kanpur Dehat) के सेहलूपुर गांव में किसान दिनेश की वीभत्स तरीके से हत्या कर दी गई थी और हत्या का आरोप गांव के ही रहने वाले अयोध्या प्रसाद पर लगा था. अयोध्या को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था लेकिन एक साल के भीतर ही उसे जमानत मिल गई. उसे जमानत मिलने पर दिनेश का परिवार नाराज था और फिर दिनेश के भाई रमेश चंद्र ने अयोध्या से बदला लेने की ठानी. बदले की आग में झुलसते हुए अयोध्या के परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी गई. इस सामूहिक नरसंहार मामले में 44 साल बाद पांच लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
दरअसल, जब अयोध्या जमानत पर रिहा हुआ तो रमेश चंद्र ने अपने 20 साथियों संग मिलकर हत्या की योजना बनाई. एक दिन रमेश ने साथियों संग मिल अयोध्या के घर पर धावा बोल दिया. इन लोगों ने अयोध्या के परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी जिसमें चार साल का मासूम बच्चा भी शामिल था. इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने 21 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया. बीते 44 वर्षों से हत्याकांड का केस लड़ा जा रहा था. इस दौरान 21 में से 14 आरोपियों की मौत हो गई जबकि एक ने केस से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी.
सबूत के अभाव में एक व्यक्ति आरोप से मुक्त
केस चार दशक लंबा खिंच गया और सभी आरोपी भी वृद्ध हो गए. हाल ही में नरसंहार के बचे हुए छह आरोपी विजय बहादुर, प्रेमचंद, विजय नारायण, बडोले, मथुरा और धनीराम अदालत में हाजिर हुए. सबूतों के अभाव में न्यायालय ने मथुरा नाम के एक आरोपी को दोषमुक्त करार दिया जबकि पांच आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुना कर 29-29 हजार रुपए का जुर्माना लगाया. इस केस के संबंध में सरकार वकील ने बताया कि यह केस इतने लंबे समय से चल रहा था. न्यायालय ने 44 साल बाद पांच आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है. जबकि सबूत के अभाव में एक आरोपी को रिहा कर दिया गया है.
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