(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
kanpur News: दलजीत जगा रहे 57 साल से देशप्रेम की अलख, देशभक्ति का ऐसा जुनून और जज्बा कम ही देखने को मिलता है
छठवीं क्लास से ही दलजीत सिंह राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर 2 दिन पहले से यूं ही तिरंगा झंडा लगाने लगाते हैं.
kanpur News: देशभक्ति का जुनून और जज्बा कुछ अनूठा ही होता है. इसे साबित करते हैं कानपुर के रहने वाले दलजीत सिंह. दलजीत सिंह की उम्र 69 साल हो चली है लेकिन लगता है कि उम्र बढ़ते बढ़ते देश प्रेम उनके दिल में बढ़ता ही जा रहा है. दलजीत सिंह युवाओं और कानपुरवासियों के लिए प्रेरणा से कम नहीं जो देश को सबसे आगे रखते हैं.
राष्ट्रीय पर्व से पहले ठेले को तिरंगे के रंग में रंग देते हैं
छठवीं क्लास से ही दलजीत सिंह राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर 2 दिन पहले से यूं ही तिरंगा झंडा लगाने लगते हैं. तिरंगा थामे हुए आने जाने वाली गाड़ियों में तिरंगे का स्टीकर लगाते हुए इन्हें यूं ही देखा जा सकता है. चाय की रेहड़ी लगाने वाले और इससे गुजर-बसर करने वाले दलजीत सिंह के जज्बे को इस बात से समझा जा सकता है कि वे अपनी चाय के ठेले को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के आने से पहले ही तिरंगे के रंग में रंग से रंग देते हैं. झंडे बैंड खरीद कर लोगों को मुफ्त में देते हैं.
घूम-घूमकर तिरंगे का स्टीकर चस्पा करते हैं
दलजीत गाड़ियों में स्टीकर यूं ही घूम घूम कर चस्पा करते हैं और चाय पीने आने वाले लोगों को देश प्रेम की सीख देते हैं. दलजीत सिंह ने शादी नहीं की लेकिन पांच भाइयों में सबसे बड़े दलजीत को अपने परिवार से देश प्रेम के लिए हमेशा से ही प्रोत्साहन मिला है. कभी टीवी मैकेनिक रहे दलजीत सिंह को आंखों से अब ज्यादा दिखता नहीं इसलिए चाय का ठेला कानपुर कचहरी के ठीक सामने लगाकर अपना गुजर-बसर करते हैं. राष्ट्रीय पर्व से पहले देश प्रेम में मगन हो जाते हैं. देशभक्ति का जुनून ही कुछ ऐसा होता है कि दलजीत सिंह जैसे लोग देश को परिवार से भी पहले रखते हैं और युवाओं की प्रेरणा का केंद्र बन बैठते हैं.
देशप्रेम की बात करते आंखें डबडबा जाती हैं
दलजीत सिंह अपनी बातों से स्पष्ट दिखते हैं कि हर व्यक्ति में देश के लिए मर मिटने का माद्दा होना चाहिए. हाथों में तिरंगा थामें दलजीत सिंह कहते हैं कि तिरंगे को थामते ही उनकी भावनाएं हिलोरे मारने लगती हैं. बात करते-करते दलजीत की आंखें भी डबडबा सी जाती हैं. बाइक, दरवाजे, कारों में ऐसे ही स्टिकर चश्पा करते-करते 57 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. पिछले 2 सालों से कोरोना जैसी महामारी आने पर अब वह अपनी चाय की रेहड़ी में मास्क भी रखते हैं और लोगों को मुफ्त उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं.
कम नहीं हुआ देशभक्ति का जज्बा
हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर 3-4 हजार खुद से खर्च करके दलजीत सिंह देशभक्ति के प्रति लोगों में जुनून और जज्बा पैदा करने की कोशिश करते हैं. कानपुर कचहरी पुलिस लाइन और सिविल लाइंस इलाके में दलजीत सिंह तिरंगे झंडे का प्रचार प्रसार करते थे. इसके लिए दलजीत सिंह को उनके पिताजी की डांट भी सहनी पड़ी लेकिन देशभक्ति का जज्बा कभी खत्म नहीं होने पाया.
जबतक जीवित रहेंगे ये काम करते रहेंगे
दलजीत ने सालों पहले पुरानी कॉपियों के कागज लेकर उन्हें तिरंगे रंग में रंग कर और आटे की लोई से चिपकाकर भी लोगों को देश प्रेम के लिए प्रेरित किया है. देश प्रेम का जज्बा और भावना कहां से आई इसके बारे में दलजीत सिंह कहते हैं कि यह इन्हें पता नहीं लेकिन जब तक वह जीवित रहेंगे यह काम करते रहेंगे. उनका देश प्रेम भावनात्मक है और उन्हें अपने देश से अत्यधिक प्रेम है. चुनाव और राजनीति पर वह कुछ भी बोलने से साफ मना करते हैं. उनका मानना है कि हर किसी के अपने विचार हैं.
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