विकास को तरसता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का गांव, PM Modi और सीएम योगी भी कर चुके हैं दौरा
Ramnath Kovind Village: सत्ता के शीर्ष स्थान पर पहुंचने के बाद भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की जन्मस्थली के हालात नहीं बदले. रोजगार, शिक्षा और अन्य विकास को आज भी यहां के लोग इंतजार में हैं.
UP News: उत्तर प्रदेश का कानपुर देहात जिला वैसे तो कई अलग अलग बातों के लिए जाना जाता है लेकिन इस जिले ने नई पहचान तब बनाई रामनाथ कोविंद देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए. रामनाथ कोविंद कानपुर देहात के डेरापुर क्षेत्र के गांव परौख के रहने वाले थे. इसी गांव में उनका जन्म हुआ जिसके बाद वो इतने बड़े पद तक पहुंचे.
सत्ता के शीर्ष स्थान पर पहुंचने के बाद भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की जन्मस्थली के हालात नहीं बदले. रोजगार, शिक्षा और अन्य विकास को आज भी यहां के लोग आस की नजर से देखते हैं. जब वो राष्ट्रपति बने थे तो उसके बाद कई बार यूपी की सीएम योगी आदित्यनाथ, पीएम नरेंद्र मोदी समेत कई नेता आए, कई योजनाओं का शिलान्यास किया लेकिन धरातल पर ये गांव आज भी आस की उम्मीद में हैं.
विकास की बाट जोहता पूर्व राष्ट्रपति का गांव
भले ही इस गांव में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म हुआ हो. लेकिन इस गांव के सितारे आज तक नहीं बदल पाएं हैं. गांव में प्राथमिक से इंटर कॉलेज भी है लेकिन व्यवस्था ऐसी है उससे भविष्य में ज़्यादा उम्मीद नहीं दिखाई देती. रामनाथ कोविंद जब राष्ट्रपति बने तो गांव के लोगों को कुछ उम्मीद हुई थी लेकिन सारी उम्मीद पर पानी फिर गया. गांववालों का कहना है कि यहाँ जैसा विकास होना चाहिए था वो नहीं हुआ.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के दौरान इसी गांव में एक सैनिक स्कूल खोलने की तैयारी की गई थी. जमीन भी खरीदी गई लेकिन उसकी नींव नहीं पड़ सकी. गांव से थाना और चौकी बहुत दूर है. लेकिन, गांव में प्रस्तावित पुलिस चौकी आज तक नहीं बनी. गांव में बहुत सी जमीन खाली पड़ी है जहां कोई फैक्ट्री खोली जा सकती थी जिससे बेरोजगार युवा खाली नहीं बैठता.
कहते हैं की अधूरा विकास लोगों की बहुत पीछे कर देता है क्योंकि विकास की उम्मीद में इंसान इंतजार करता है और समय बढ़ता चला जाता है. राष्ट्रपित पद पर आसीन रहते हुए ग्रामीणों को विकास के साथ शिक्षा, रोजगार की उम्मीद थी कि जैसे मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद सैफई के हालात बदल दिए थे वैसे राष्ट्रपति के गांव के हालात भी बदलेंगे. लेकिन उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद उम्मीदों पर ग्रहण सा लग गया है.
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