UP News: एक रुपए का महत्व शायद कोई मायने न रखता हो लेकिन सरकारी अस्पतालों में अभी भी महत्व है. चलन से गायब होने के बावजूद सरकारी अस्पतालों में एक रुपए से इलाज होता है. कानपुर देहात का स्वास्थ्य महकमा अजीबो गरीब उलझन में है. सरकारी बैंक ने एक रुपए की रेजगारी लेने से हाथ खड़ा कर दिया है. बता दें कि सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा के लिए मरीजों को पर्ची कटाना पड़ता है. पर्ची के नाम पर मरीजों से सरकारी अस्पताल एक रुपए का सिक्का वसूलते हैं.
क्या बैंक एक रुपए के सिक्के नहीं कर सकते स्वीकार?
एक रुपये का फुटकर लेने के बाद मरीजों को इलाज की पर्ची दी जाती है. अब बैंक कर्मचारी एक रुपए के सिक्कों को स्वीकार करने से इंकार कर रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे की मुश्किल बढ़ गई है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी ने महीने भर में एक रुपए का सिक्का इकट्ठा किया. सिक्कों की शक्ल में कुल चार हजार रुपए हो गए. चार हजार के सिक्के लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का कर्मचारी एसबीआई बैंक जमा करने ले गया. एसबीआई बैंक के कर्मचारी सिक्कों की गठरी देखकर स्वीकार करने से इंकार कर दिया.
स्वास्थ्य विभाग की शिकायत पर बैंक मैनेजर का जवाब
उन्होंने साफ कह दिया कि एक रुपए के सिक्के बैंक जमा करने के लिए नहीं लेगा. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी को एसबीआई बैंक से बैरंग लौटना पड़ा. उसने स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर विकास कुमार को मामले की जानकारी दी. कर्मचारी की शिकायत पर स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया. सीएमओ कार्यालय से बैंक मैनेजर को लिखित शिकायत दी गई. शिकायत में आरोपी बैंक कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. बैंक मैनेजर संजय चौधरी का कहना है कि एक रुपए का सिक्का लेने से इंकार नहीं किया जा सकता है. शिकायत सही पाए जाने पर आरोपी बैंक कर्मचारी के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया.