UP News: योगी सरकार लगातार विकास कार्यों पर जोर देती हुई नजर आ रही है. वहीं जनपद कानपुर (Kanpur) देहात में विकास कार्यों के नाम पर सड़क निर्माण घोटाला सामने आया है. यहां ठेकेदारों और विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते लगभग 3 लाख का सड़क निर्माण घोटाला सामने आया है. मनरेगा (MGNREGA) के तहत निजी फर्मों को सड़क निर्माण के लिए टेंडर आवंटित किया गया था. जिसमें दो फर्म्स के टेंडर के माध्यम से सड़क निर्माण कार्य कराए जाने की कवायद शुरू कर दी थी.


कैसे हुआ खुलासा?
सड़क निर्माण का कार्य कागजों में जोरदार तरीकों से होता नजर आ रहा था. जिसके चलते विभागीय अधिकारियों के द्वारा दोनों फर्मों को सड़क निर्माण का भुगतान नियमानुसार कर दिया गया. लेकिन कुछ समय बाद प्रधान संघ के सभी पदाधिकारियों ने एकजुट होकर विभागीय अनियमितताओं को पकड़कर जिला प्रशासन के सामने उजागर कर दिया. 


जिसको लेकर प्रधान संघ के लगभग दो दर्जन पदाधिकारियों ने माती स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर शिकायत पत्र दिया. उन्होंने जांच की मांग की है तो वहीं मनरेगा के तहत होने वाले इस घोटाले का मामला सामने आते ही अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए. जिसके चलते अधिकारियों ने आनन-फानन में मनरेगा डिप्टी कमिश्नर को मौके पर पहुंचकर मौके पर पहुंच कर जांच करने के आदेश दे दिए.


क्या है मामला?
पूरा मामला कानपुर देहात के संदलपुर विकासखंड का है. मनरेगा योजना के अंतर्गत सामग्री मद का भुगतान किए जाने को लेकर फर्जीवाड़ा सामने निकल कर आया है. जिसमें बिना कार्य किए ही दो फर्मों आस्था ट्रेडर्स, मां गंगा देवी फर्म के नाम से किए जाने वाले कार्यों में धरातल पर कार्य गायब दिखा. वहीं धरातल पर गायब सड़क निर्माण का कार्य कागजों में पूरी तरीके से किए जाने का उल्लेख देखने को मिल रहा है. जिसकी जांच डीसी मनरेगा खुद कर रहे हैं.


जांच की बात सामने आते ही दोनों फर्मों ने किए गए कार्यों के फर्जी भुगतान की रकम को प्रशासन को वापस कर दिया. जो इस बात को सिद्ध करता है कि वाकई जिस कार्य का पैसा विभाग द्वारा पास कर दिया गया. हकीकत में वह कार्य धरातल पर हुए ही नहीं हैं. इसके बाद डीसी मनरेगा खुद मौके पर उन सड़कों पर पहुंच गए, जिनके निर्माण कार्य का पैसा पास कर दिया गया था. लेकिन मौके पर पहुंचकर अधिकारियों के होश फाख्ता हो गए.


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क्या बोले प्रधान?
पूरे मामले को लेकर ग्राम प्रधान गौरव कटियार ने बताया कि सामग्री मद का भुगतान 4 जुलाई को हुआ है. शासन के द्वारा एक लेटर जारी किया गया था. जिसमें 2021-22 के पहले के किए गए कार्यों का भुगतान किया जाना सुनिश्चित किया गया था.  जबकि उसका भुगतान न करके वित्तीय अनियमितताओं का लेखा अधिकारीओं द्वारा या फिर जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा 2022- 23 में किए गए कार्यो का भुगतान किया गया. 


जबकि इन कार्यों जिन का भुगतान वर्ष 2022-23 में हुआ है. उनकी फील्डिंग के महज 4 दिन बाद ही उनका भुगतान कर दिया गया. इसके अनुरूप हमारे द्वारा कराए गए 1 वर्ष पूर्व पिछले कार्यों का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. इतना ही नहीं ग्राम प्रधान ने यह भी बताया कि ऐसे भी कई कार्य हैं, जिनका धरातल पर कार्य हुआ भी नहीं और उनका भुगतान फर्मों को कर दिया गया है.


क्या बोले डीसी मनरेगा?
इस विषय पर डीसी मनरेगा हरिश्चंद्र सिंह ने बताया कि कानपुर देहात जिला अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को इस प्रकरण की जानकारी मिल चुकी है. अब जांच में जो भी कमियां आएंगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी और धनराशि की वसूली की जाएगी. 


साथ ही उनकी सेवाएं भी खत्म की जाएंगी. इस पूरे मामले में जितने भी विकासखंड स्तर के अधिकारी और कर्मचारी ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम सेवक, खंड विकास अधिकारी और तकनीकी सहायक अधिकारियों के खिलाफ दोषी पाए जाएंगे उनपर कार्रवाई होगी.


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