UP News: सरहदों का बंटवारा होने के बाद शत्रु मुल्क के नाम से जाने जाने वाले पाकिस्तान का जब भी जिक्र आता है तब तब भारत में सियासत गरमा जाती है लेकिन जब जिक्र मात्र से ही हंगामा खड़ा हो जाता है अगर ऐसे में भारत में करोड़ों की जमीन के मालिकाना हक पाकिस्तान में रह रहे नागरिकों के नाम हों तो चौंकना लाजमी है. यहां कुछ जमीनें भारतीय नागरिकों की नहीं बल्कि पाकिस्तान में रह रहे लोगों के नाम दाखिल हैं और ये सरकारी अभिलेख बोल रहे हैं. 


पाकिस्तान का नाम दर्ज
सरकारी दस्तावेजों में दर्ज भूस्वामी का नाम और निवास स्थान के कॉलम में भारत कि जगह पाकिस्तान का नाम दर्ज है. ये दस्तावेज पाकिस्तान के नहीं बल्कि यूपी के कानपुर देहात जिले के कुछ अलग अलग भूमि गाटा संख्या के अभिलेख हैं. हैरत की बात ये नहीं है कि ये लोग पाकिस्तान के रहने वाले हैं खास बात ये है कि अरसा पहले मुल्क छोड़ चुके ये लोग आज भी यहां करोड़ों कि जमीन के मालिक बने बैठे हैं. 




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बंटवारे के समय चले गए
ताजा रेवेन्यू रिकॉर्ड के अनुसार मुल्क के नाम के स्थान पर पाकिस्तान का नाम दर्ज है. दरअसल कानपुर देहात के अकबरपुर तहसील के अन्तर्गत आने वाला बारा गांव इस वक्त सुर्खियों में है. बता दें कि सरहदों का बंटवारा होने के बाद ही यहां के रहने वाले लोग पाकिस्तान में जा बसे. बंटवारे के बाद उनका यहां आना जाना भी नहीं हुआ. संभव है कि सभी लोग अब जीवित भी ना हों लेकिन उनकी जमीन लावारिस पड़ी है या फिर अन्य लोगों ने उन जमीनों पर कब्जा कर लिया है.


बड़ी लापरवाही का पता चला
दरअसल सरकारी अभिलेखों में दर्ज मुल्क के नाम पर भारत के सरकारी दस्तावेजों में कानपुर देहात की कुछ जमीनों के खतौनी में दाखिल भू स्वामियों के निवास स्थान के कॉलम में शत्रु देश पाकिस्तान का नाम अंकित है. इसकी वजह से सरकारी महकमे और उनकी कार्य प्रणालियों पर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं. लंबे अरसे से भारत की जमीनों पर गैर मुल्क का नाम दर्ज होना प्रशासनिक अधिकारियों की बड़ी लापरवाही को दर्शाता है. 




 6 साल में होता है नवीनीकरण
अगर हम नियम की बात करें तो हर 6 वर्ष में भूमि अभिलेख के दस्तावेजों की छानबीन की जाती है और उन अभिलेखों में दर्ज त्रुटियों को सही भी किया जाता है साथ ही साथ उन सभी दस्तावेजों को तहसील स्तर पर नवीनीकरण भी किया जाता है लेकिन अरसे से कानपुर देहात की कुछ जमीनों में दर्ज गैर मुल्क पाकिस्तान का नाम अभी तक बदस्तूर अंकित है. सवाल यह खड़ा होता है कि जब हर 6 साल में दस्तावेजों में नवीनीकरण की प्रक्रिया की जाती है तो फिर लंबे अरसे से दर्ज पाकिस्तान का नाम अभी तक जमीनों की कुछ खतौनियों में क्यों अंकित है.


जिलाधिकारी ने क्या कहा
इस बाबत जब हमने कानपुर देहात की जिलाधिकारी नेहा जैन से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस जनपद में चार्ज लिए कुछ दिन ही हुए हैं और उन्हें इस तरह के मामले की ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन एबीपी गंगा की टीम से बात करते हुए उन्होंने इस बात को स्वीकार भी कर लिया कि इस तरह की जमीनों के कागजों में जोड़ना गैर मुल्क का अंकित हैं. इस तरह की भूमियों का निरीक्षण किया जाएगा. साथ ही साथ जांच पड़ताल कर इन जमीनों की जानकारी कर शासन स्तर पर अवगत भी कराया जाएगा. जिलाधिकारी ने बताया कि कुछ भूमियां शत्रु संपत्ति में भी दाखिल होंगी जिसका उनके द्वारा अधिग्रहण किया जाएगा. 


प्रधान ने क्या कहा
वहीं जब हमने मौके पर पहुंचकर जमीन का मुआयना अकबरपुर तहसील के लेखपाल और 12 गांव के प्रधान के साथ किया तो प्रधान महोदय ने बताया कि इस तरह की जो कमियां ठीक नहीं हैं. वे इसके लिए अधिकारियों को ही जिम्मेदार मान रहे हैं.


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