Uttar Pradesh News: कानपुर विकास प्राधिकरण (Kanpur Development Authority) अपनी फ्लैटों की कमियां दूर कर बेचने के लिए बेहद संजीदा दिख रहा है और इसीलिए अब तय किया गया है कि इसके लिए सलाहकार की मदद ली जाएगी. इसके लिए प्रीबिड मीटिंग हो चुकी है टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है और ऐसा करने वाला कानपुर विकास प्राधिकरण प्रदेश का पहला विकास प्राधिकरण होगा. केडीए ग्रीन्स, KDA हाइट समेत विभिन्न आवासीय योजनाओं में कानपुर विकास प्राधिकरण के 5,000 से ज्यादा फ्लैट पिछले 5 सालों से खाली हैं. इन्हें खरीदार नहीं मिल रहे हैं. KDA की जिन योजनाओं में फ्लैट खाली हैं, वो इस प्रकार हैं.
योजनाओं में खाली फ्लैट
योजना का नाम- खाली फ्लैट
रामगंगा एनक्लेव 672
गंगा 357
सरस्वती 35
हिमगिरी 101
नीलगिरी 151
मंदाकिनी 509
यमुना 567
कानपुर विकास प्राधिकरण ने कई बार पहले आओ पहले पाओ योजना के तहत इन्हें बेचने के लिए मेला तक लगाया लेकिन कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित मेले में भी गिने-चुने फ्लैट बिक पाए. सिर्फ 810 फ्लैट वाली सिग्नेचर सिटी योजना में ही 90 से ज्यादा फ्लैट बिक चुके हैं. अन्य के लिए विकास प्राधिकरण को खरीदार ही नहीं मिल रहे. ईडब्ल्यूएस एलआईजी के सबसे ज्यादा फ्लैट खाली हैं. योजना में फ्लैट की कीमत ₹11 लाख 65 हजार है. केडीए ने सिग्नेचर ग्रीन्स के दाम ₹5 लाख तक बढ़ा दिए हैं. इन योजनाओं में 3 बीएचके फ्लैट, 2BHK फ्लैट हैं. अन्य योजनाओं में पुरानी दर पर ही फ्लैट बेचे जा रहे हैं, फिर भी ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. केडीए के अपर सचिव गुडाकेश शर्मा की माने तो सलाहकार योजनाओं की कमियां दूर करने के उपाय भी बताएगा.
किस वजह से नहीं बिके फ्लैट
दरअसल प्राधिकरण के ज्यादातर अपार्टमेंट शहर के बाहरी क्षेत्रों में बने हैं जिसके चलते आवागमन की सुविधा नहीं है. वहीं साफ-सफाई भी सुव्यवस्थित नहीं है और आसपास अच्छे स्कूल भी नहीं हैं. इसलिए केडीए की इन योजनाओं में करीब 12 सौ करोड़ रुपए ब्लॉक पड़ा हुआ है जिसे अब प्राधिकरण गंभीरता पूर्वक निकालने के मूड में है.