Kanpur News Today: कानपुर सहित पूरे देश में कई जगहों पर खस्ताहाल सड़कों से लोग परेशान है. सरकार भी इन जर्जर खस्ताहाल सड़कों की मरम्मत और रखरखाव के लिए काफी समय और पैसा खर्चा करती है. हालांकि अब सड़कों के रखरखाव और मरम्मत से जल्द निजात मिलने वाली है. पीडब्ल्यूडी ने सारी योजना तैयारी कर ली है. 


पीडब्ल्यूडी ने एक खास तकनीक का इस्तेमाल सड़क बनाने में करने का ऐलान किया है. जिससे शहर की सड़कें बार- बार खराब नहीं होंगी. इसके अलावा खस्ताहाल सड़कों को बनाने में पैसों की ज्यादा बर्बादी नहीं होगी. इस तकनीक का पहली बार इस्तेमाल कानपुर में किया जाएगा. 


अभी तक इस तकनीक का प्रयोग सड़क बनाने में हुआ है. इस खास तकनीक को 'डीआर तकनीक' के नाम से जाना जाता है. प्रदेश सरकार ने सड़कों को बनाने और उनके मरम्मत की जिम्मेदारी जल्द से जल्द पूरा करने के लिए विभागों को सख्त निर्देश दिए हैं. 


नई तकनीक से कैसे बनेगी सड़क?
इस संबंध में पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ इंजीनियर रविदत्त ने बताया कि ये तकनीक पहली बार प्रयोग में लाई जाएगी. इस तकनीक से जिन सड़कों की हालत खराब है उन्हें पूरी तरह से उखाड़ना नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि सड़क बनाने में जो गिट्टी पहले प्रयोग हो चुकी है सिर्फ उसकी ऊपरी लेयर को निकाल गिट्टियों को निकाला जाएगा.


चीफ इंजीनियर रविदत्त के मुताबिक, गिट्टियों को बारीक तरीके से तोड़कर चूरा कर लिया जाएगा, इसके बाद सड़क के ऊपरी सतह जो नमी खत्म होने की वजह से उखड़ने लगती है उसे रिसाइकल किया जाएगा. इसके बाद इस पूरे मिश्रण में सीमेंट में मिलाया जाने वाला कॉमिक जो सीमेंट को चिपकाने में कारगर होता, उसे मिलाकर तैयार किया जाएगा. 


इसी मिश्रण को सड़क के ऊपर बिछाया जाएगा और फिर उसे रोड रोलर से समतल कर तैयार किया जाएगा. आखिर में दोबारा चूरा की गई गिट्टियों को लेयर के ऊपर डाल दिया जाता है और रोलर की मदद से बराबर कर चिपका दिया जाता है. जिससे सड़कर की लाइफ बढ़ जाती है.


कानपुर में बनेगी 9 किमी सड़क
अब पहली बार इस तकनीक से कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र की 9 किलोमीटर सड़कर तैयार की जाएगी. इस तकनीक का परीक्षण सफल रहा है. अगर यह तकनीक शहर की सड़कों पर भी कामयाब रहती है तो इसे अन्य सड़कों पर भी प्रयोग में लाया जा सकता है.


हालांकि, इस तकनीक के प्रभावी होने का वास्तविक मूल्यांकन सड़कों के निर्माण के बाद ही किया जा सकेगा. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस तकनीक के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार का दखल नहीं होगा और क्या ये सड़कें वाकई में कारगर साबित होंगी.


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