Omicron: कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद तेजी से संभल रहा उद्योग नए वेरिएंट ओमिक्रोन के खतरे से एक बार फिर सहम गया है. चमड़ा, मोल्डिंग आदि उत्पादों का करीब 500 करोड़ रुपए से अधिक का इंपोर्ट ऑर्डर फंसने की संभावना बनती दिखती है. यूरोप और अफ्रीकी देशों समेत दूसरे देशों में दिए गए आर्डर फिलहाल आगे बढ़ाने लगे हैं. सबसे ज्यादा असर यूरोपीय देशों से होने वाले कारोबार पर पड़ रहा है. जनवरी-फरवरी में तीसरी लहर आने की आशंका के बीच उद्यमी बड़ी पूंजी फंसाने से अब किनारा काटने लगे हैं. आशंका यह भी है कि दूसरे देशों में वह आर्डर भेज पाएंगे या नहीं.


कानपुर एमएसएमई का बड़ा हब है. पिछले कुछ महीनों से रफ़्तार पकड़ रहे धंधे पर अचानक ब्रेक लगता दिखता है. इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने खतरे को भांपते हुए जर्मनी से लाखों रुपए की कीमत वाली मशीन लेने का इरादा बदल दिया है. वहीं, पिछले कुछ दिनों से अपने दिए गए ऑर्डर के लिए बार बार फोन करने वाले लोग अब उन्हें परेशान नहीं कर रहे. उद्यमियों की नए बाजार तलाशने की मुहिम को भी बहुत बड़ा झटका लगा है.


कोरोना महामारी के चलते पड़ा भारी असर


पिछले 2 सालों में उद्योगों को कोविड- 19 ने तगड़ा झटका दिया है. कोरोना की पहली लहर में हुए लॉकडाउन के चलते करीब 40 दिन तक कानपुर महानगर के उद्योग धंधे बंद रहे थे, जबकि दूसरी लहर ने चमड़ा उद्योग को कई हजार करोड़ की बड़ी चोट दी. धीरे-धीरे हालात सुधरे तो इस साल पूरे देश से अफ्रीकी देशों को 1,37,665 करोड़ का एक्सपोर्ट हुआ था. कानपुर समेत पूरे प्रदेश से 21,532 करोड़ का एक्सपोर्ट किया गया. लेकिन यूरोप और अफ्रीकी देशों में उनके बढ़ते खतरों के चलते उद्योगों के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है. चमड़ा उद्योग सहित दूसरे उद्योगों के क्रिसमस और नए साल के एक्सपोर्ट ऑर्डर फंस गए हैं.


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