Kanpur News: यूपी के कानपुर (Kanpur) के हैलट अस्पताल में बरती जा रही लापरवाही से मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है. अस्पताल के वार्डों में एक्सपायरी डेट के इंजेक्शन मिले हैं इन दवाओं को नष्ट करने के बजाय अलमारियों में सुरक्षित रखा गया था. नर्स अलमारियों से इंजेक्शन निकालकर रोगियों को लगाती है. ऐसे में धोखा भी हो सकता था. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संजय काला के औचक निरीक्षण में ये बात सामने आई है.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से संबद्ध हैलट अस्पताल में एक्सपायरी डेट के इंजेक्शन मिलने से मामले के बाद हड़कंप मचा हुआ है. राहत की बात यह है कि यह इंजेक्शन किसी मरीज को नहीं लगे वरना लेने के देने पड़ जाते. पिछले महीने जच्चा बच्चा अस्पताल में एक महिला को एक्सपायरी इंजेक्शन लग भी गया था और इस मामले में जमकर बवाल हुआ था.
क्या है पूरा मामला?
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संजय काला की अगुवाई में शनिवार को औचक निरीक्षण किया गया, तो 3 वार्डों में एक्सपायरी डेट के एंटीबायोटिक दवाओं के इंजेक्शन मिले. इसके बाद वार्ड की प्रभारी नर्स के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पहली कड़ी में नोटिस जारी किया गया है. दरअसल प्राचार्य डॉ संजय काला, उप प्राचार्य डॉ ऋचा गिरी और हैलेट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ आर के मौर्या की अगुवाई में 3 टीमों ने अलग-अलग वार्डो में पहुंचकर पड़ताल की. सारे कागजात, अलमारियों दवा का स्टॉक आदि की जांच की गई. एक्सपायरी 5 इंजेक्शन मिलने पर प्राचार्य डॉक्टर से पूछा कि नष्ट क्यों नहीं किए गए स्टाफ जवाब नहीं दे पाया.
एक्सपायरी इंजेक्शन मिलने के बाद प्राचार्य संजय काला ने कहा कि रजिस्टर पर दवा का बैच नंबर रोगी का नाम एक्सपायरी तिथि और दवा कब दी गई, यह सारा ब्यौरा दर्ज किया जाए. इसके साथ नोटिस जारी करके जवाब भी तलब किया जाए. प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ मौर्या ने जच्चा-बच्चा अस्पताल के वार्डों और ऑपरेशन थिएटर की स्थिति देखी जबकि उप प्राचार्य रिचा गिरी ने मेडिसिन विभाग के आईसीयू में जाकर स्थिति दे.जहां स्थिति संतोषजनक मिली.
आपात बैठक में ये तय किया गया
एक्सपायरी दवाई मिलने पर सभी विभागाध्यक्ष की आपात बैठक बुलाई गई और इसमें तय हुआ कि अब रिटर्न इंडेंट बनेगा. जिन दवाओं की एक्सपायरी तिथि नजदीक होगी उन्हें फार्मेसी को वापस भेज दिया जाएगा. इसके अलावा इस्तेमाल ना होने वाली दवाएं भी वार्डों में नहीं रखी जाएंगी, इन्हें भी वापस भेज दिया जाएगा. हालांकि अस्पताल आने वाले मरीजों के तीमारदारों की अपनी समस्या है. तीमारदारों का कहना है कि अस्पताल में उन्हें दवाइयां नहीं मिलती उन्हें बहुत सी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ती है.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से हैलट अस्पताल के साथ-साथ अपार इंडिया जच्चा बच्चा जेके कैंसर IDH समेत कई अस्पताल संबद्ध है. यहां आसपास के कई जिलों के मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. ऐसे में अगर बिना एक्सपायरी डेट चेक किए इंजेक्शन या दवाइयां मरीजों को जो खासतौर पर पढ़े लिखे नहीं होते हैं, दी जाती है. तो उनकी जान पर भी बन सकती है.ऐसे में प्राचार्य द्वारा बरती गई सतर्कता से कई मरीजों की जान तो जरूर बच गई है लेकिन हर कदम पर सतर्कता बरते जाने की जरूरत भी है.
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