Kanpur News: कानपुर की बांस मंडी अग्निकांड के ढाई महीने बीत जाने के बाद भी एशिया का सबसे बड़ा माना जाने वाला रेडीमेड मार्केट बदहाल पड़ा है. जिला प्रशासन की सरकारी प्रक्रिया से व्यापारी संतुष्ट हैं लेकिन असल मरहम की उन्हें जल्द जरूरत है. अब व्यापारी कह रहे हैं कि आश्वासन के साथ व्यापारी हित में जल्द काम हो, व्यापारी और बिल्डर के आपसी विवाद ने भी मामले को उलझाया है.


बीती 31 मार्च को कानपुर के बासमंडी इलाके में भीषण अग्निकांड हुआ था जिसमें चार टॉवर और इसमें रेडीमेड मार्केट पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक खुद मौके पर आकर कपड़ा व्यापारियों को मरहम लगा गए थे लेकिन आईआईटी और HBTU की टेक्निकल समिति की रिपोर्ट के बावजूद भी नतीजा कुछ नहीं निकला. इस अग्निकांड में करीब ढाई हजार करोड़ का माल जलकर खाक हो गया था. घटना के ढाई महीने बीत चुके हैं और अभी भी खड़ी हुई जर्जर इमारतें यहां धंधा करने वाले व्यापारियों को मुंह चिढ़ा रही हैं.


कानपुर के कोपरगंज स्थित बांस मंडी में बीती 30 और 31 मार्च को जो अग्नि कांड हुआ उसने सैकड़ों घरों को उजाड़ दिया. बांस मंडी स्थित रेडीमेड मार्केट पूरे एशिया में प्रसिद्ध थी लेकिन AR टावर से शुरू हुई आग ने देखते ही देखते आसपास की कई इमारतों को भी अपनी जद में ले लिया. इन क्षेत्रों में सैकड़ों दुकानें जलकर पूरी तरह खाक हो गईं. यहां का व्यापारी रात से दिन होते होते सड़क पर आ खड़ा हुआ. आग को बुझाने में कई दिन लग गए लेकिन आग से जो चोट इन व्यापारियों को लगी उसका दर्द आज भी इनको है. घटना के ढाई महीने बीत चुके हैं मुख्यमंत्री से लेकर तमाम दरवाजों पर यह व्यापारी अपनी अरदास लगा चुके हैं लेकिन आश्वासन के सिवा इन्हें कुछ मिलता नहीं दिख रहा.


अग्निकांड में कपड़ा कारोबारियों को अनुमान के मुताबिक करीब ढाई हजार करोड़ का नुकसान हुआ, जिसके बाद शासन और प्रशासन ने मिलकर इन को फौरी तौर पर राहत देने की कोशिश की. पूरी तरह बर्बाद हो चुके व्यापारियों को लोन की सुविधा कराई गई जीएसटी विभाग से जितनी राहत मिलनी चाहिए थी उतनी दिलाने की कोशिश की गई जिसे लेकर यह व्यापारी संतोष भी जताते हैं लेकिन कुछ व्यापारी काफी निराश हैं. क्योंकि ढाई महीना बीत चुका है और अभी तक इन्हें कोई वैकल्पिक स्थान व्यापार करने के लिए नहीं मुहैया कराया गया है.


चार टावरों को गिराने की टेक्निकल रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है. अग्निकांड के बाद आईआईटी कानपुर और HBTU समेत नगर निगम की टीमों ने पूरी तरह जल चुकी इन इमारतों का सर्वे कराया था. जिसके बाद सर्वे रिपोर्ट में साफ तौर पर यह कहा गया था कि AR टावर समेत चार टावर पूरी तरह गिराने होंगे. जबकि अर्जन टावर और हमराज टावर टू में कुछ दुकानों में आग लगी थी जिनकी मरम्मत कराकर उन्हें खोला जा सकता है. लेकिन कुछ व्यापारियों के आपस में सहमति पत्र ना देने के चलते पूरा मामला खटाई में पड़ा हुआ है. व्यापारियों की आपसी खींचतान और लंबी सरकारी प्रक्रिया के चलते हालत यह है कि ढाई महीने बीतने के बावजूद पूरी तरह जली हुई यह इमारतें अभी भी खड़ी हुई है और व्यापारी वैकल्पिक स्थान की खोज में सड़क सड़क घूम रहा है.


काम करने वाले लोगों के बच्चों की स्कूल फीस माफ करवाई गई


जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर की मानें तो तमाम संस्थाओं को सर्वे के लिए लगाया गया था. व्यापारियों को जीएसटी विभाग से राहत दिलाने का काम कराया गया है. यहां काम करने वाले लोगों के बच्चों की स्कूल फीस माफ करवाई गई है जबकि एमएसएमई के तहत बर्बाद हो चुके व्यापारियों के लोन भी कराए गए हैं और लगातार व्यापारियों के साथ बैठकर उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी तस्दीक खुद व्यापारी भी कर रहे हैं.


 वैकल्पिक स्थान मुहैया कराने की है व्यापारियों की मांग


इस अनुमान के मुताबिक करीब ढाई हजार करोड़ का नुकसान कोपरगंज के पास मंडी में स्थित लगी इन इमारतों के चलते हुआ था. व्यापारियों की पहले दिन से मांग रही है कि उनको वैकल्पिक स्थान मुहैया कराया जाए ताकि वह अपना रहा सहा व्यापार कर सकें लेकिन उन्हें अभी इस तरह का कोई वैकल्पिक स्थान नहीं दिलाया गया है. इसी के साथ ही व्यापारियों की आपसी अनबन भी खस्ताहाल हो चुकी इन इमारतों को गिराने और नई बिल्डिंग बनाकर, व्यापार के लिए शुरू करने के भी आड़े आ रही है. व्यापारी शासन और जिला प्रशासन की अब तक की हुई कार्यवाही पर संतोष तो जाहिर करते हैं लेकिन जिस तरह का मरहम लगाया जाना था चाहिए था उसकी टीस भी उनके मन में जरूर देखती है.


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