Kanpur Flood Updates: यमुना नदी उफान पर है और रौद्र रूप धारण कर चुकी है. कानपुर के घाटमपुर तहसील में नदी के तटवर्ती गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं. घाटमपुर तहसील के अमीरतेपुर, मोहटा, गड़ाथा और कई गांव टापू बन गए हैं. बाढ़ का आलम यह है कि, विद्यालय, शौचालय और घर मवेशी सब डूबे हुए हैं. लोग जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त दिखता है. लोग भूखे बिलबिला रहे हैं. घर में रखा कच्चा राशन बाढ़ की भेंट चढ़ चुका है, लेकिन एसडीएम और पुलिस अधिकारी बाढ़ के मुहाने से अपने कार्य की इतिश्री करते हुए लौट जा रहे हैं. हमारी टीम जब बाढ़ का प्रकोप देखने खुद ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो लोगों का गुस्सा भी सामने आया. परेशान हाल लोग बता रहे हैं कि, यमुना का पानी बढ़ते हुए उनके घरों में घुस गया लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा.
दो सरकारी नाव के भरोसे कैसे बचेगी जिंदगियां
राहत बचाव के नाम पर महज कुछ नाव राहत कार्य में लगी हुई हैं, जिनमें दो नाव ही सरकारी बताई जा रही हैं, जबकि चार नाव निजी तौर पर मैनेज कर लाई गई हैं. गढ़ाथा गांव का सबसे बुरा हाल है. यहां के प्रधान ने जैसे तैसे करके एक नाव लोगों की मुसीबत को कम करने के लिए यमुना की बाढ़ में उतारी है लेकिन लोगों की मुश्किलें कम करने के लिए किये गए ये प्रयास नाकाफी दिखते हैं.
छतों पर लोगों ने बनाया ठिकाना
यमुना में आई बाढ़ का आलम यह है कि, यमुना के मुहाने से करीब 2 किलोमीटर आगे तक पानी भर गया है. गांव में जब हमारी टीम पहुंची तो घरों के साथ ही मंदिर भी पूरी तरह डूबी नजर आई. कहीं, पर गौशाला तो कहीं पर मंदिर कहीं पर विद्यालय तो कहीं पर शौचालय बाढ़ की भेंट चढ़े और डूबे हुए दिखे लोग छतों पर आश्रय लिए हुए हैं और हर नाव के उनके घर के पास पहुंचने पर मदद के लिए आवाज भी लगा रहे हैं. लोग यहां तक कह रहे हैं कि, अगर वक्त पर उनकी मदद नहीं की गई तो यमुना की बाढ़ की भेंट उनकी जिंदगी चढ़ जाएगी. खतरा लगातार बढ़ रहा है लेकिन प्रशासन दूर से ही हवा हवाई दावा ठोक रहा है. बाढ़ की विभीषिका वही व्यक्ति समझ सकता है जो इसको झेलने को मजबूर है. दूर अपने दफ्तरों पर बैठे अफसर राहत बचाव के कार्यों के लाख दावे जरूर कर लें लेकिन कई कई फुट गांव में भरा पानी इस बात की गवाही दे रहा है कि प्रशासन के दावे और किए गए काम पूरी तरह नकारा साबित हुए हैं.
पानी में राशन खराब हुआ
लोग अपने परिजनों की जीवन को बचाने के लिए जूझ रहे हैं. राहत बचाव के कार्यों की हकीकत इसी बात से खुल जाती है कि, कुछ नाव कई हजार लोगों की जिंदगी बचाने में लगाई गई हैं. गांव वालों के मुताबिक 2 नाव सरकारी हैं और चार नाव निजी तौर पर चलाई जा रही हैं, जिसपर बैठकर हमारी टीम बाढ़ की विभीषिका को जानने ग्राउंड जीरो पर पहुंची. वह नाव भी खस्ताहाल थी जो पानी से लगातार भर्ती नजर आई क्योंकि इस नाव के सिवा जीवन को बचाने के लिए दूसरी कोई नाव सरकारी सिस्टम द्वारा यहां मुहैया ही नहीं कराई गई. हालात इतने बदतर हैं इसे समझने के लिए एक तस्वीर हमारे सामने और भी आई. गढ़ाथा गांव के प्रधान ने भूख से बिलबिलाते लोगों के लिए खाना मुहैया कराने का प्रबंध कराया है लेकिन नाव ना होने के चलते खाना बनाने वाले रसोईया जरूरतमंदों तक खाना भी नहीं पहुंचा पा रहे हैं. इक्का-दुक्का नाव जो यमुना की बाढ़ में दिखती हैं, वह लोगों को लाने ले जाने का काम निजी तौर पर कर रही हैं ऐसे में लोग बाढ़ और भूख से बेहाल नजर आते हैं.
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