(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kanpur News: कानपुर की 10 लाख आबादी को हो सकता है पानी का संकट, दो विभागों का ये अंतहीन खेल बना वजह
Kanpur News: कानपुर की करीब 10 लाख की आबादी को पानी का संकट हो सकता है. जल निगम ने प्लांट के संचालन में असमर्थता जताते हुए जल कल विभाग को पत्र लिखा है.
Kanpur Water Story: यूपी के कानपुर (Kanpur) में गंगा बैराज स्थित (Ganga Barrage) वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर करीब 176 करोड़ की बकायेदारी से परेशान जल निगम ने इसे बंद करने की चेतावनी दी है. ऐसा हुआ तो शहर की करीब 10 लाख की आबादी को पानी का संकट हो सकता है. जल निगम ने प्लांट के संचालन में असमर्थता जताते हुए जल कल विभाग को पत्र लिखा है. इसमें प्लांट के हस्तांतरण की भी मांग की गई है. उधर जल कल विभाग में पाइप लाइनों के बार-बार टूटने का हवाला देकर प्लांट हैंडओवर लेने से इनकार कर दिया है.
जल निगम के अनुसार प्लांट के संचालन में बिजली के मद के 151 करोड़ 73 लाख रुपए और संचालन व अनुरक्षण के मद में 24 करोड़ 86 लाख रुपए की देनदारी है. पंप ऑपरेटर को भी 17 महीने से मानदेय नहीं मिला है. यदि शीघ्र प्लांट का हस्तांतरण नहीं हुआ तो इसका संचालन मुश्किल हो जाएगा. टूटी पाइप लाइनों की मरम्मत भी नहीं हो पाएगी. हालांकि जल निगम के अधिकारी इस बाबत कुछ भी बोलने को तैयार नहीं लेकिन जलकल विभाग की दलील भी सुन लीजिए कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि इस योजना का हैंड ओवर अब तक नहीं लिया जा रहा है.
आपको बता दें कि जेएनएनयूआरएम के तहत जल निगम ने 2008 से गंगा बैराज में 20 करोड़ लीटर क्षमता के दो जल शोधन संयंत्र, 40 किलो लीटर क्षमता का टैंक और शहर से लेकर दक्षिण क्षेत्र तक पानी की आपूर्ति के लिए मुख्य पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू किया था. मुख्य लाइनों को जलकल विभाग की लाइनों से जोड़कर मार्च 2017 में औसतन 5 किलो लीटर पानी की आपूर्ति शुरू की गई. इससे 10 लाख लोगों को पानी मिलता है. लेकिन जल कल का कहना है कि तमाम खामियों के चलते हैंड ओवर नहीं लिया जा सकता.
सांसद सत्यदेव पचौरी ने कही ये बात
दरअसल, जल निगम निर्माण इकाई है और विभाग जलापूर्ति परियोजना सीवेज परियोजना आदि से संबंधित प्लांटों, जोनल पंपिंग स्टेशनों, टंकियों के निर्माण और पाइप लाइन बिछाने का काम करती है. इन्हें बनाने पर परीक्षण के बाद संबंधित विभाग को हस्तांतरित किया जाता है. विभाग को संचालन और रखरखाव के मद में धन नहीं मिला. बावजूद इसके वर्षों से प्लांट चलाना पड़ रहा है. इसी वजह से देनदारियां बढ़ती जा रही हैं. लेकिन जलकल विभाग का कहना है कि आधी अधूरी योजनाओं का हैंड ओवर कैसे ले लिया जाए. वहीं महानगर से सांसद सत्यदेव पचौरी ये तो मानते हैं कि जल कल और जल निगम के बीच समस्या तो है लेकिन उसे संभाल लिया जायेगा जिससे जनता को परेशानी का सामना न करना पड़े.
परियोजना की कीमत 853 करोड़ रुपए है
जल निगम के अधिकारियों के अनुसार 15 दिसंबर 2017 से ही इन परियोजनाओं को जल कल विभाग को हस्तांतरित करने के लिए पत्र लिखे जा रहे हैं. समुचित संसाधनों के अभाव में संचालन एवं रखरखाव में आ रही परेशानियों भी बताई गई हैं. परियोजना के हस्तांतरण के लिए शासन को भी पत्र भेजे गए हैं. 2021 में दोनों विभागों की संयुक्त कमेटी की तरफ से बताई गई कमियां भी दूर कर ली गई है. लेकिन योजना जल कल विभाग को हस्तांतरित नहीं हो पाई है.
इस परियोजना की कीमत 853 करोड़ रुपए है. ऐसे में नवाबगंज, सर्वोदय नगर, पांडू नगर, शास्त्री नगर, दादा नगर, गोविंद नगर, बर्रा, निराला नगर, साकेत नगर, जूही लाल कॉलोनी, जूही सफेद कॉलोनी, जूही हरी कॉलोनी, गौशाला, किदवई नगर, बारादेवी, सिविल लाइंस, नई सड़क, जनरल गंज, नया गंज, कुली बाजार, हल्सी रोड, रामबाग समेत तमाम मोहल्ले इस योजना से प्रभावित होते हैं.