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Kanpur Ganga Water: नहाने लायक भी नहीं रह गया गंगा का पानी, रिसर्च में सामने आए चौंकाने वाले नतीजे
Kanpur Gangajal: छात्राओं ने प्रोफेसर अनीता दीक्षित के नेतृत्व में कानपुर के जाजमऊ परमट गंगा बैराज और रानी घाट में पानी के नमूने लिए. लैब में इनकी जांच की गई तो परिणाम काफी ज्यादा चौंकाने वाले रहे.
Kanpur Gangajal: यूपी (UP) के कानपुर (Kanpur) में गंगा का जल पीने और आचमन लायक नहीं बचा है. अगर इस पानी से पौधों की सिंचाई की जाए तो वे भी नहीं बढ़ेंगे. जानवर इस जल को पीते हैं तो दूध प्रदूषित होने का भी खतरा है. गंगाजल (Gangajal) को लेकर एक ताजा रिसर्च की गई है. इस रिसर्च के परिणाम काफी ज्यादा डराने वाले हैं. कानपुर के डीजी कॉलेज में परास्नातक रसायन विभाग की छात्राओं ने दूषित होते गंगा जल पर एक शोध किया है. गंगा दिनों दिन प्रदूषित होती जा रही है और इसी विषय पर कॉलेज की छात्राओं ने एक शोध किया है.
इस शोध के परिणाम काफी चौंकाने वाले हैं. छात्राओं ने प्रोफेसर अनीता दीक्षित के नेतृत्व में कानपुर के जाजमऊ परमट गंगा बैराज और रानी घाट में पानी के नमूने लिए. नमूने लेकर लैब में इनकी जांच की गई तो परिणाम काफी ज्यादा चौंकाने वाले रहे. परास्नातक रसायन विभाग की अध्यक्ष डॉ. अर्चना दीक्षित की देख रेख में एमएससी अंतिम वर्ष की छात्रा श्रद्धा कविता समेत 6 छात्राओं ने अलग-अलग घाट से जल के नमूने लिए और अलग-अलग पैरामीटर पर लैब में जांच की, जिसके नतीजे काफी खतरनाक स्तर पर मिले.
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नहाने लायक भी नहीं रह गया है गंगा का जल
डॉ. अर्चना दीक्षित की मानें तो रिपोर्ट के अनुसार जाजमऊ में टेनरियों के कारण पानी सबसे अधिक प्रदूषित निकला है. परमट घाट में गिर रहे नालों की वजह से डिजॉल्व ऑक्सीजन मानक से कम और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड मानक से काफी अधिक मिला है. गंगा में गिर रहे 23 छोटे बड़े नालों के कारण यह अशुद्धियां मिल रही हैं. ऐसे में गंगाजल नहाने योग्य भी नहीं रह गया है. रिसर्च टीम के मुताबिक जल्द इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी जाएगी. साथ ही रिपोर्ट प्रदेश और केंद्र सरकार को भी भेजी जाएगी.
कानपुर में सबसे ज्यादा प्रदूषित होती है गंगा
कहा जाता है कि कानपुर में आते ही गंगा सबसे ज्यादा प्रदूषित होती है. इसीलिए पीएम और सीएम ने सबसे खतरनाक और बड़े सीसामऊ नाले को न सिर्फ टैप करवाया था, बल्कि गंगा में गिर रहे सभी नालों का मुंह मुड़वाने का दावा किया था, लेकिन अगर ऐसा सच में होता तो जमीनी हकीकत इन रिसर्च के आंकड़ों में कुछ और ही होती. रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि सरकारी योजनाएं गंगा को स्वच्छ और साफ बनाने में पूरी तरह विफल साबित हुई हैं.
गंगाजल के रिसर्च के नतीजे
पैरामीटर- मानक- जाजमऊ- बैराज-परमट
डीओ- 7- 4.5- 6- 5.5
बीओडी- 3.1- 9.9- 7.8- 7.1
सीओडी- 14.1- 20.2- 18.9- 17.1
क्लोरीन- 25- 45- 400- 35
पीएच- 7.6- 8.9- 8.6- 7.9
हार्डनेस- 100- 180- 130- 15
डीओ- 7- 4.5- 6- 5.5
बीओडी- 3.1- 9.9- 7.8- 7.1
सीओडी- 14.1- 20.2- 18.9- 17.1
क्लोरीन- 25- 45- 400- 35
पीएच- 7.6- 8.9- 8.6- 7.9
हार्डनेस- 100- 180- 130- 15
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