कानपुर: कानपुर के हैलट अस्पताल में पिछले दो महीनों यानी अप्रैल और मई में करीब 500 मौतें हुई हैं, और अभी भी 160 मौतों के आंकड़ों को अस्पताल द्वारा छुपाया जा रहा है. कई दिनों तक मृतकों के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराने पर सीओमओ को रिपोर्ट करने वाली डाटा टीम ने इस बाबत लगातार सात मांग पत्र जारी किये हैं. ऐसे कई लेटर जारी होने के बाद भी हैलट प्रशासन मौत के आंकड़ों को नहीं बता कर खामियों पर पर्दा डालने का काम कर रहा है. हैलट से मृतक प्रमाण पत्र नहीं मिलने से तमाम परिजन चक्कर लगाने को मजबूर हैं.
आधे-अधूरे आंकड़े
हैलेट अस्पताल से कोरोना काल मे 500 मौतों के आधे-अधूरे आंकड़े जारी किये गए. एबीपी गंगा के हाथ ऐसे कई पत्र लगे हैं, जिसमे हैलट प्रशासन से मरने वालों की लिस्ट मांगी गई है. इसके लिए मृतकों के डेटा लिस्ट बनने वाली टीम को एक दो नहीं बल्कि 7 पत्र जारी करने पड़े हैं, फिर भी हैलट प्रशासन पर आरोप है, उसने लिस्ट जारी नहीं की. इससे साफ है कि, हैलट प्रशासन मरीजों की मौत पर पर्दा डालने का काम करता रहा है. कोरोना के पीक पर हैलट अस्पताल में एक दिन में अधिकतम मरने वालों की संख्या 18 तक गयी है.
हैलट अस्पताल में कितने मरीजों की मौत हुई है, यह बात अभी भी साफ नहीं हो पाई है. हैलट प्रशासन के रजिस्टर में आने वाले मरीज और डिस्चार्ज होने वाले मरीजों का रिकॉर्ड तो है. लेकिन कितने मरीजों की मौत हुई इसको हैलट प्रशासन बता नहीं रहा है. हैलट से मौत के आंकड़े लेकर CMO को बताने वाली डेस्क कई पत्र जारी करने के बाद भी शून्य बनी हुयी है.
सात बार पत्र जारी किया गया
मई महीने में डेटा डेस्क ने 20 मई तक 6 पत्र जारी करके हैलट प्रशासन से मरने वाले मरीजो की संख्या पूछी है। पहला पत्र 3 मई को जारी किया गया था, उसके बाद 7 मई को जारी लेटर में भी मरने वालों की डिटेल मांगी गयी। फिर 10 - 13 और 15 मई को मृतक मरीजो की संख्या मांगी गयीं। इस पर भी मृतक मरीजो की संख्या नही देने पर 20 मई को दो पत्र जारी किए गये। अभी भी हर रोज हैलट में मृतको के परिजन लगातार डेथ सर्टिफिकेट के लिए चक्कर लगाने को मजबूर है।
वाइस प्रिंसिपल की सफाई
हैलेट अस्पताल की वाइस प्रिंसिपल डॉ ऋचा गिरी का कहना है कि, मौतों के आंकड़े मरीज की फ़ाइल से दे दिए जाते हैं. अप्रैल और मई में मरीजों की संख्या लगभग 500 तक रही है. उसके मुकाबले में डाक्टर और स्टाफ की काफी कमी है. इसलिए डिटेल देने में देर हो रही है. उन्होंने माना कि, अभी भी 160 मरीजों की मौत का आंकड़ा पोर्टल पर अपडेट होना बाकी है. जिसको बहुत जल्द पूरा कर लिया जाएगा. ऐसे में सवाल यही है कि, कहीं अपनी नाकामी छिपाने के लिए तो ये काम नहीं किया जा रहा.
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