कानपुर: तेजी से भूगर्भ जलस्तर का गिरना चिंता का विषय बनता जा रहा है. आलम यह है कि, पिछले चालीस सालों में देश के कई हिस्सों में भूगर्भ जल का स्तर 30 मीटर तक गिर गया है. ऐसे में वाटर मैनेजमेंट की जरूरत है. आईआईटी कानपुर की रिसर्च में सामने आए चौकाने वाले तथ्यों ने खतरे की घंटी बजा दी है. रिसर्च में यह बात भी सामने आयी है कि, दूसरे कारणों के साथ सही फसल चक्र के मैनेजमेंट न होना भी जलस्तर गिरने का बड़ा कारण है.


जल स्तर में बड़ी गिरावट


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और केन्द्रीय भूजल बोर्ड के निर्देशन में आईआईटी कानपुर ने भूगर्भ जल स्तर पर अध्ययन किया. आईआईटी के वैज्ञानिक राजीव सिन्हा की देखरेख में पंजाब व हरियाणा सहित देश के उत्तर पश्चिम में स्थित राज्यों में यह अध्ययन किया गया. जिसमें यह बात सामने आयी है कि, कृषि की मांग को पूरा करने के लिए भूजल का तेजी से अवशोषण किया जा रहा है. जो जल स्तर में गिरावट का बड़ा कारण है. इन इलाकों में धान की खती मे अंधाधुंध पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी जलस्तर का तेजी से गिरना परेशानी का सबब है. 


वाटर मैनेजमेंट जरूरी 


इन्डस्ट्री के कामों के साथ-साथ फसल में पानी की बर्बादी होने से जल संकट गहरा रहा है. आईआईटी की रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि पिछले 40-50 सालों में जल स्तर 20-30 मीटर तक गिर गया है. आईआईटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि 20 से 30 मीटर का जलस्तर का गिरना बहुत गम्भीर मामला है. जल स्तर में गिरावट के कारण अलग-2 क्षेत्रों में अलग-2 हैं. जलस्तर में सुधार के लिए अलग अलग तौर तरीके अपनने की जरूरत है. कहीं पर रिचार्ज करने की जरूरत पड़ सकती है लेकिन साथ साथ क्रॉप वाटर मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. उत्तर प्रदेश औऱ बिहार में भी तेजी से भूगर्भ जल स्तर गिर रहा है. सरकारों को रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर उचित कदम उठाने चाहिए.


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