कानपुर जेल में बंद हैं क्षमता से दोगुने कैदी, अब 750 कैदियों की रिहाई से मिली राहत
Kanpur Jail News: कानपुर जेल में इस समय क्षमता से अधिक कैदी बंद होने की वजह से प्रबंधन कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहा है. इसको लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और जेल प्रबंधन ने खास पहल की है.
Kanpur News Today: कानपुर जेल में बंदियों की बड़ी संख्या प्रशासन के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. क्षमता से ज्यादा कैदियों का होने से जल प्रबंधन के लिए समस्या बनी हुई है. एक दशक से अधिक समय से जेल में दोगुने से अधिक संख्या में कैदी कैद हैं. हालांकि पिछले दो सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब यहां पर कैदियों की संख्या दो हजार के आंकड़ें से नीचे पहुंची है.
जेल में कैदियों की संख्या अधिक होने की वजह उनकी पैरवी समय पर ना होना, जुर्माना भरने की स्थिति ना होना, उनकी सजा बरकरार रखने और उसे बढ़ाने की मुख्य कारण है. इसकी वजह से कानपुर जेल कैदियों की संख्या हालिया दशकों में तेजी से बढ़ी है.
इन सबके बीच सबसे सकारात्मक बात ये रही है कि पिछले दो सालों में 750 बंदी जेल से रिहा हुए हैं. इसमें जिला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और जेल प्रबंधन दोनों ने कैदियों को जेल से आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है.
जेल में हैं क्षमता से अधिक कैदी
कानपुर जिला कारागार में 1245 कैदियों की व्यवस्था है, लेकिन पिछले एक दशक से अधिक समय से यहां क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं. इस दौरान जेल में 2200 से 2700 कैदी लगातार बंद रहे हैं. इसकी वजह से जेल प्रबंधन और कैदियों को कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है.
क्षमता से अधिक कैदी कानपुर जेल कारागार में बंद होने से प्रबंधन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जिमें कैदियों के भोजन की व्यवस्था, उनके रुकने की जगह में कमी, सोने के स्थान पर दो से अधिक कैदियों की व्यवस्था जैसी कई समस्याएं लगातार बनी रहती है. इसका काफी हद तक असर जेल प्रबंधन और कैदी दोनों पर पड़ रहा है.
जेल से रिहाई के लिए विशेष पहल
हर व्यक्ति चाहता है कि वह अपनी सजा पूरी कर जेल से जल्द बाहर निकले, लेकिन कई बार कैदियों को सजा और जुर्माने के कारण अतिरिक्त समय जेल में रहना पड़ता है. अधिकांश कैदियों को पैरवी करने के लिए कोई मदद नहीं मिलती और जुर्माना भरने में भी समस्या आती है, जिसकी वजह से भी उनकी सजा बढ़ जाती है और उन्हें अधिक समय जेल में बिताना पड़ता है.
इस समस्या का समाधान करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और जेल प्रबंधन ने मिलकर कई उपाय किए. इसमें जुर्माना राशि को घटाने और कैदियों की पैरवी कराने के प्रयास किए गए, जिससे उनकी रिहाई संभव हो सके. इस सराहनीय पहल की वजह से पिछले दो साल में कुल 750 कैदी जेल से रिहा हुए हैं.
इसके अलावा इन प्रयासों से जेलों पर पड़ने वाला दबाव भी कम हुआ है. जहां पहले जेलों में क्षमता से दो गुना अधिक कैदी होते थे, वहीं अब कैदियों की संख्या 2000 के नीचे आ गई है.
'रिहाई से दबाव हुआ कम'
कानपुर जेल अधीक्षक बीडी पांडे ने बताया कि अधिक कैदियों की संख्या की समस्या लंबे समय से बनी हुई थी, जिससे जेल में कई समस्याएं पैदा हो रही थीं. कैदियों को उचित तरह से लेटने और बैठने की व्यवस्था में समझौता करना, अधिकारियों का अधिक समय जेल निरीक्षण में लगना और सजा पूरी होने के बावजूद पैरवी में देरी, जुर्माना राशि का भुगतान न हो पाना प्रमुख समस्याएं थीं. साल 2008 में जेल में बंदियों की संख्या 1980 थी, जो कि जेल अधीक्षक मेवाती के कार्यभार संभालने के समय 2700 तक पहुंच गई थी. लेकिन पिछले दो सालों में 750 कैदियों की रिहाई के बाद अब जेल पर दबाव कम हुआ है.
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