Kanpur News: उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर (Kanpur) में विकास परियोजनाओं को लेकर दो सरकारी विभाग आमने-सामने आ गए हैं. हुआ ये कि जहां पर मेट्रो को अपना भूमिगत मेट्रो स्टेशन (Metro Station) बनाना था. उस जगह पर जलकल विभाग (Jalkal Department) ने गहरी सीवर की लाइन डाल दी. मेट्रो का दावा बार बार पत्र लिखने के बावजूद जल कल ने उनकी आपतियों की अनदेखी की, वहीं जल कल विभाग का कहना है कि मेट्रो के अधिकारियों से हरी झंडी मिलने के बाद ही वहां पर सीवर लाइन डालने का काम किया गया. 


कानपुर के विजय नगर से डबल पुलिया तक जलकल विभाग गहरी सीवर लाइन डलवाने का काम कर रहा है लेकिन अब इसकी वजह से डबल पुलिया से विजयनगर तक अंडर ग्राउंड मेट्रो रूट प्रस्तावित होने लगा है. मेट्रो का दावा है कि मेट्रो रूट प्रस्तावित होने की जानकारी सभी विभागों को वक्त रहते दी गई थी, बावजूद इसके जनवरी से जलकल विभाग ने खुदाई कर पाइपलाइन डालनी शुरू कर दी है. मेट्रो के अफसर जलकल को काम रोकने के लिए पत्र भेज रहे हैं, लेकिन मेट्रो अधिकारियों के पत्रों का जलकल विभाग के अधिकारियों पर कोई भी असर नहीं पड़ रहा. 


मेट्रो स्टेशन की जगह डाल दिया सीवर


दरअसल यूपीएमआरसी ने 6 फरवरी को कॉरिडोर टू के तहत सीएसएसए रावतपुर काकादेव और डबल पुलिया में तीन भूमिगत मेट्रो स्टेशनों और भूमिगत मेट्रो ट्रैक के लिए टेंडर जारी किए थे. डबल पुलिया तिराहे से विजयनगर की तरफ करीब ढाई सौ मीटर आगे तक भूमिगत ट्रैक के लिए प्रस्तावित ओवरहेड मेट्रो ट्रैक से जोड़ने के लिए रैंप अभी बनाना है. मेट्रो के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो साल 2020 में मेट्रो का डीपीआर जलकल समेत सभी विभागों में भेजा गया था फिर भी जलकल विभाग ने इस साल जनवरी में विजय नगर तिराहे से डबल पुलिया तिराहे तक गहरी सीवर लाइन बिछाने शुरू कर दी.


मेट्रो विभाग ने लगाया आरोप 


इस योजना का शिलान्यास पिछले साल सांसद सत्यदेव पचौरी ने किया था. फरवरी में प्रस्तावित रोड पर हो रहे निर्माण को पता चला तो उन्होंने काम रोकने के लिए 4 बार जल विभाग को पत्र भेजा लेकिन काम नहीं रोका गया. डबल पुलिया में जिस स्थान पर सीवर पाइप बिछाए जा रहे हैं वहां भूमिगत मेट्रो स्टेशन और रैंप बनना है इसके लिए सीवर लाइन उखाड़ना पड़ेगा. 


हालांकि जलकल विभाग का कहना है कि सीवर लाइन बिछाने से पहले मेट्रो की टीम के साथ संयुक्त निरीक्षण हुआ था. उनकी सहमति से काम शुरू कराया गया, जो लगभग पूरा हो गया है. यूपीएमआरसी अब आपत्ति कर रहा है. इस बारे में अब उनसे बात की जाएगी और मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा. 


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