Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस सेवा धूल फांक रही है. यहां मरीजों को वक्त पर ना मिलने वाली एंबुलेंस (Ambulance Service) की भी दुर्दशा हो रही है. सवाल है कि स्वास्थ्य विभाग का इलाज करने का दावा करने वाली सरकार बिगड़ी एंबुलेंस सेवा का कब इलाज करेगी? प्रदेश में कानपुर (Kanpur) के कांशीराम चिकित्सालय (Kanshi Ram Hospital) में जहां खुद सीएमओ (CMO) आलोक रंजन बैठते हैं कई दिनों से 50 के करीब एंबुलेंस खराब पड़ी हैं.
एंबुलेंस कबाड़ में तब्दील
बताया जा रहा है कि छोटी-छोटी खामियों के चलते ये एंबुलेंस यहां खड़ी की गईं और उसके बाद कबाड़ में तब्दील हो गईं. धूल फांक रहीं इन एंबुलेंस की दुर्दशा देखकर उन मरीजों की याद आती है जिन्हें वक्त पर एंबुलेंस नहीं मिली और जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. कोरोना काल में एक-एक एंबुलेंस की कितनी जरूरत थी यह बताने की जरूरत नहीं है और रोजाना एंबुलेंस ना मिलने के मामले सामने आते रहते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग जिला प्रशासन और शासन की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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क्या कहा सीएमओ ने
कानपुर में 50 के करीब एंबुलेंस खड़ी-खड़ी कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं. 108 और 102 सेवा की ये एंबुलेंस अब किसी भी काम की नहीं बची हैं. इस बीच कानपुर महानगर के सीएमओ आलोक रंजन का कहना है कि इन एंबुलेंस का यह हाल कैसे हुआ इसका विश्लेषण किया जाएगा और जो भी इसके लिए जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
खड़े हुए ये सवाल
सवाल है कि, एंबुलेंस सेवा के टाइमिंग को दुरुस्त करने का दावा करने वाले स्वास्थ्य विभाग की नजर जनता के पैसों से खरीदी गई इन एंबुलेंस पर क्यों नहीं पड़ती. अब जब ये एंबुलेंस कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं ऐसे में इसके दोषियों को क्या सजा दी जाएगी और जो मरीज एंबुलेंस वक्त पर ना मिलने की वजह से अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं उसके लिए किसे सजा दी जाएगी.