कानपुर: लगातार घट रहे वाटर लेवल को ठीक करने के उद्देश्य से शासन ने दस्तावेजों में दर्ज सभी तालाब, चरागाह, खलिहानों पर हुये अवैध कब्जों को हटाकर उनके पुराने स्वरूप में लाया जाए इसको लेकर आदेश किया था. जिसके बाद कानपुर में भी दस्तावेजों को देखने के बाद पूरे शहर के तालाबों को चिन्हित किया गया और उनको खाली करवाने की प्रक्रिया को शूरु किया गया. लेकिन, कानपुर प्रशासन की कार्रवाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लंबा वक्त बीत जाने के बाद भी अब तक एक तिहाई तालाबों को कब्जे से मुक्त नहीं करवाया जा सका है. तालाबों की जमीनों पर भू-माफिया का कब्जा बना हुआ है लेकिन जिला प्रशासन उनको कब्जा मुक्त नहीं करवा पा रहा है.
कानपुर के बर्रा इलाके में भी 505 और 506 आराजी संख्या में कई बीघे का तालाब दर्ज है जिस पर भू-माफिया का कब्जा है. जिसको कब्जा मुक्त करवाये जाने के आदेश भी हो चुके हैं लेकिन आज तक इस जगह को कब्जा मुक्त नहीं किया जा सका है. सिर्फ कागजों पर ही कार्रवाई हो रही है.
कानपुर प्रशासन की कार्रवाई की बात की जाये तो पूरे शहर में 2349 तालाबों को चिन्हित किया गया जिनपर किसी न किसी का कब्जा है. इनको कब्जा मुक्त करवाने की प्रक्रिया शुरू की गई जिसमें लंबा वक्त बीतने के बाद महज 781 तालाबों को ही कब्जा मुक्त करवाया जा सका है. इसको लेकर कुल 32 मुकदमे भी पंजीकृत किये गए हैं. यानी अभी शहर में 1568 तालाबो पर भू-माफिया का कब्जा बना हुआ है जिसको खाली नहीं करवाया जा सका है.
वहीं, तालाबों, खलिहानों को कब्जे से मुक्त करवाये जाने ले मामले में जब कानपुर के कमिश्नर से पूछा गया तो उनका कहना है कि हम सब का कर्तव्य है कि जल संरक्षित हो इसके लिए तालाब, खलिहान नदी-नालों पर कब्जा न करें इसको लेकर हम लोग भी लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. शहर में जहां-जहां पर अभिलेखों में ये सब चीजें दर्ज है उनको कब्जा मुक्त करवाया जाएगा. इसको लेकर विभागों को लिखा भी जा रहा है. जो कब्जा नहीं छोड़ रहे है उसके लिए भी प्लान तैयार कर आगे की कार्रवाई किये जाने की बात कही.
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