UP Politics: विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की बुलाई बैठक का सांसद सत्यदेव पचौरी किया विरोध, शुरू हुआ लेटर वॉर
सत्यदेव पचौरी ने कानपुर के मंडल आयुक्त डॉ राजशेखर को पत्र लिखते हुए यह कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना द्वारा 18 नवंबर को बुलाई गई दिशा की बैठक नियमों से परे है.
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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) के सर्वांगीण विकास को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दो दिग्गज आमने-सामने आ गए हैं. कानपुर से बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी (Satyadev Pachauri) और उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) के बीच लेटर वॉर शुरू हो गया है. दरअसल, इसकी शुरुआत जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति यानी दिशा की 18 तारीख को होने वाली बैठक को लेकर हुई है. इसका कड़ा विरोध कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी और अकबरपुर लोकसभा से सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने कर दिया है.
सियासत में यूं ही कुछ नहीं होता है. इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता कानपुर में एक-दूसरे से उलझे नजर आ रहे हैं. कानपुर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सत्यदेव पचौरी का एक लेटर सामने आया है. इसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और कानपुर की महाराजपुर विधानसभा सीट से विधायक सतीश महाना के एक निर्णय पर सवाल उठा दिए हैं. सत्यदेव पचौरी ने कानपुर के मंडल आयुक्त डॉ राजशेखर को पत्र लिखते हुए यह कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना द्वारा 18 नवंबर को बुलाई गई दिशा की बैठक नियमों से परे है. वहीं इस बैठक को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए.
समाजवादी पार्टी ने ली चुटकी
इस पत्र में सत्यदेव पचौरी के साथ-साथ अकबरपुर लोकसभा के संसद सदस्य देवेंद्र सिंह भोले ने भी हस्ताक्षर किए हैं. हालांकि, दोनों ही सांसद पत्र लिखने के बाद कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं की लेटर वॉर के बीच विपक्ष चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहा है. समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेई का कहना है कि विकास के लिए बैठकें होती हैं और अगर ऐसी बैठकें आयोजित की जाएंगी तो विपक्ष भी उसमें जन प्रतिनिधि के रुप में शामिल जरूर होगा, लेकिन जिस मकसद से ऐसा किया जा रहा है वह बिल्कुल ठीक नहीं है.
'2024 के लिए बिसात अभी से बिछनी शुरू'
सत्यदेव पचौरी देवेंद्र सिंह भोले द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के सलाहकार द्वारा लिखे गए पत्र पर सवाल उठाया गया है, लेकिन कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. ऐसे में जानकार पर्दे के पीछे की सियासत को अपने नजरिए से देख रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार महेश शर्मा की मानें तो इस लेटर वॉर के पीछे की राजनीति को समझना बेहद जरूरी है. दरअसल, साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की बिसात पार्टी के अंदर अभी से बिछनी शुरू हो गई है. साथ ही वार पलटवार के बीच भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज आमने-सामने क्यों आ गए हैं.
टिकट को लेकर दावेदारी
जानकारों की मानें तो कानपुर में सतीश महाना और बिठूर से विधायक अभिजीत सिंह सांगा की नजर कानपुर और अकबरपुर लोकसभा संसदीय सीटों पर लगी हुई है. वहीं बीजेपी द्वारा तय किए गए उम्र के फार्मूले पर दोनों ही वर्तमान सांसद आगे निकलते हुए दिख रहे हैं. यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों का टिकट कट सकता है. वर्तमान सांसद चाहते हैं कि अगर उनका टिकट कट जाता है तो इसे उनके रिश्तेदारों को दिया जाए. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के बीच दूसरा खेमा सक्रिय हो गया है और टिकट की दावेदारी को लेकर कानपुर के सर्वांगीण विकास को लेकर सक्रियता काफी ज्यादा दिख रही है. साफ है आने वाले दिनों में पार्टी के भीतर सियासी खींचतान और भी देखने को मिल सकती है.
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