Kanpur News: कहते हैं ख्यालातों को उम्र की जंजीरों में जकड़ा नहीं जा सकता और न ही उम्र, सोच पर कोई प्रतिबंध लगा सकती है. इस बात को कानपुर की रहने वाली 13 साल की एक बच्ची ने सच करके दिखाया है. जिस उम्र में बच्चे अक्सर खेलते कूदते हैं और अपनी शैतानियों से बचपन की पहचान छोड़ते हैं उस उम्र में कानपुर की बानी भाटिया ने कमाल कर दिया. वह 7 वीं कक्षा में पढ़ती है.


बचपन से ही पढ़ने में रुचि रखने वाली ये छोटी सी बच्ची महज 13 साल की है और कक्षा सात में पढ़ती है. इस बच्ची को किताबों से खेलने ओर उसे पढ़ने का शौक है. जब करोना ने देश में दशहत का माहौल बना दिया था, उस वक्त घर में ही रहकर बानी भाटिया ने किताब लिखने की शुरुआत की. भिन्न भिन्न शैलियों से जुड़ी हुई अलग अलग कहानियों को अपनी सोच के संग देने लगी एक साल में बानी ने तकरीबन 6 कहानियां लिखी.


बानी की मां ने किया प्रोत्साहित
परिजनों ने इस छुपी हुई प्रतिभा को देख बानी की मां प्रिया ने प्रतिभा को और भी आगे ले जाने की प्रेरणा दी जिसके बाद 15 कहानियों के एक संग्रह को बनाई ने अपनी सोच से कहानी का रूप दिया और एक किताब तैयार की जिसे, "द व्हिंसिकल फेबल्स" नाम मिला ,इस किताब को दिल्ली की लेखिका गुनीत कौर ने संपादित किया है.


अब बानी अपनी छोटी से उम्र में बड़ी सोच और कारनामे से चर्चित हो गई है, उसकी किताब भी लोग पसंद कर रहे हैं. इसके साथ ही महज 13 साल की उम्र में अपनी सोच को उड़ान देने वाली बानी को एक विदेशी राइटर की किताब में जल्द नाम ओर जगह मिल सकती है.


खेलकूद में भी बानी को रुचि है, उसे भी सभी बच्चों की तरह खेल पसंद है लेकिन कहानियां सुनना और उसे नया रंग देना भी उसकी अब जरूरत बनती जा रही है. अब बानी कहानियों और किताबों की दुनिया में आगे बढ़ना चाहती है, अपनी पढ़ाई के बाद वो अपनी लेखन क्षमता और  सोच को और भी गहराई तक ले जाना चाहती है.


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