Kanpur News: ओलंपिक में पदक जीतने के बाद ग्रीन पार्क में बढ़ी हाकी खिलाड़ियों की संख्या
Kanpur News: ओलंपिक में भारतीय हॉकी खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के बाद अब युवाओं और बच्चों में इस खेल के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है.
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कानपुर: टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. देश में हॉकी में मेडल का सूखा ख़त्म हुआ. जिसके बाद अब युवाओं में इसका असर भी नज़र आने लगा है. राष्ट्रीय खेल हाकी के प्रति उनकी दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है. यही वजह है कि वह हॉकी की बारीकियां सीखने के लिए स्टेडियम पहुंच रहे हैं. कानपुर की बात करें तो यहां के ग्रीनपार्क स्टेडियम में हॉकी खिलाड़ियों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है. रोज यहां क़रीब पचास बच्चे हॉकी के गुर सीखने के लिए पहुंच रहे हैं. पहले यहां दस से 15 बच्चे ही हॉकी के गुर सीखने के लिए आते थे, लेकिन जब से भरतीय टीम ने ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीता है, तब से बच्चों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है. उनके मुताबिक़ प्रतिदिन पांच से छह बच्चे यहां हॉकी सीखने के लिए रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं. इनमें से ज्यादातार की उम्र दस से 15 साल के बीच है. हॉकी के प्रति बच्चों की दीवानगी देखकर मोनी काफ़ी उत्साहित हैं.
हॉकी में बढ़ रही है रुची
साल 2018 में जब नगर निगम की ओर से ग्रीनपार्क में एस्ट्रोटर्फ लगवाई गई तब से धीरे-धीरे बच्चे राष्ट्रीय खेल की तरफ़ रुचि लेने लगे और इनके खेल गुणवत्ता भी बढ़ रही है, लेकिन ओलंपिक के बाद इसमें काफी तेजी आ गई.
ग्राउंड में खिलाड़ी बहा रहे हैं पसीना
हॉकी स्टिक थामे बच्चे अब यहां खूब दिख जाते हैं. ग्राउंड में सीनियर जूनियर खिलाड़ी मिलकर पसीना बहा रहे हैं. बच्चे अब यहां बड़े होकर मो. शाहिद की तरह बनना चाहते हैं. हास्टल में रहने वाले छात्रों की माने तो यहां एस्ट्रोटर्फ लगने के बाद से खेल में काफ़ी बदलाव आया है. कोच व सीनियर खिलड़ियों के साथ खेल को और निखारने में दिन रात मेहनत की जा रही है. देश सेवा के साथ बच्चों के हुनर को भी यहां और तेज़ी से निखारा जा रहा है. हॉकी के जानकारों की माने तो हॉकी के प्रति बच्चों में रूझान इस कदर बढ़ा है कि बच्चे 30 किमी दूर से यहां सीखने आ रहे हैं.
एस्ट्रोटर्फ़ से बदला खेल
ओलंपिक में पदक मिलने के बाद हर हॉकी खिलाड़ी चाहता है कि वो अपने बेहतरीन प्रदर्शन से देश का नाम ऊंचा करे. खिलाड़ियों की माने तो एस्ट्रोटर्फ़ लगने के बाद से उनके खेल में काफ़ी सुधार हुआ है. हॉकी मुकाबले अब एस्ट्र टर्फ़ में ही होते है क्योंकि इस पर गेंद तेज़ चलती है और घास की अपेक्षा अधिक उछाल भी लेती है. जबकि घास में गेंद धीरे चलती है.
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