(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kanpur News: चार मरीजों की आखों की लौटाई रोशनी, GSVM मेडिकल कॉलेज को मिली बड़ी सफलता
Research Needed: हैलेट के नेत्र विशेषज्ञों की मानें तो अभी तक देश में कोई रिसर्च नहीं हुआ है. बड़े पैमाने पर रिसर्च के लिए केंद्र को रिपोर्ट भेजी गई है. सुविधा व संसाधन के लिए अनुदान मांगा गया है.
Gsvm Kanpur: कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग को स्टेम सेल (Stem Cell) पर शोध में अप्रत्याशित सफलता मिली है. जन्मजात और गंभीर बीमारियों के कारण रेटिना खराब होने से आंखों की रोशनी गंवा चुके चार मरीजों को आशा की एक नई किरण मिली है. प्लेसेंटा (Plecenta) अवशेषों से निकाली गई स्टेम कोशिकाएं को आंखों के रेटिना में प्रत्यारोपित कर रोगियों में दृष्टि बहाल कर दी गयी है. इससे यहां के चिकित्सकों में उत्साह का माहौल है.
केंद्र सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट
इस सफलता के बाद अब अस्पताल से चार महीने के रिसर्च की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार के आईसीएमआर को भेज दी गई है. अब रिसर्च परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सुविधाएं और संसाधन जुटाने के लिए अनुदान मांगा गया है. जानकारी हो कि मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग में आसपास के कई जिलों सहित अन्य राज्यों से भी मरीज आंखों का इलाज कराने आते हैं. ऐसे मरीजों की परेशानी को देखते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संजय काला ने नेत्र रोग विभाग के प्रमुख प्रो. परवेज खान को स्टेम सेल पर एथिक्स कमेटी से अनुमति लेकर शोध शुरू करने की सलाह दी थी.
चार मरीजों की आंखों की लौटी रोशनी
मध्य प्रदेश के रीवा के रहने वाले पेशे से कारपेंटर मुकेश कुमार को जन्म से ही नहीं दिखता था. उनके साथ ही उन्नाव के निवासी सिपाही मो. असीम को रेटिना की लाइलाज बीमारी थी. धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. इन दोनों मरीजों में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया गया. इससे चार महीने में ही इनकी आंखों की रोशनी लौट आई. दो और मरीजों के आखों की रोशनी भी इसी तरीके से लौटाई जा चुकी हैं.
सर्जरी कर इम्प्लांट कर दिया जाता है स्टेम सेल
चिकित्सकों के अनुसार, मां के गर्भ में शिशु नाल द्वारा प्लेसेंटा सुरक्षित रहता है. डिलीवरी के बाद बच्चे के साथ प्लेसेंटा और उसकी परतें बाहर आ जाती हैं. इन अवशेषों को एकत्र किया जाता है और इससे स्टेम सेल निकाले जाते हैं. इसे सर्जरी के बाद रेटिना पर इम्प्लांट कर दिया जाता है. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो. परवेज खान की मानें तो जुलाई 2022 से वे प्लेसेंटा के अवशेषों से स्टेम सेल निकालकर आंखों के क्षतिग्रस्त रेटिना में ट्रांसप्लांट करने पर शोध कर रहे हैं. ऑपरेशन थियेटर में स्टेम सेल सर्जरी की जाती है. अब तक चार रोगियों में स्टेम सेल डाले गए हैं, जिनके अप्रत्याशित परिणाम मिले हैं.
बड़े पैमाने पर रिसर्च के लिए केंद्र से अनुरोध
हैलेट के नेत्र विशेषज्ञों की माने तो अभी तक देश में ऐसा कोई रिसर्च नहीं हुआ है. इस सफलता को देखते हुए बड़े पैमाने पर रिसर्च के लिए केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी गई है. इसमें सुविधा व संसाधन मुहैया कराने के लिए अनुदान मांगा गया है. डॉ परवेज ने बताया कि यह प्रोसीजर आने वाले समय में आम आदमी भी अफोर्ड कर पाएंगे. अभी इसकी कॉस्टिंग ज्यादा है, लेकिन कुछ समय में लगभग 50 हज़ार के आसपास ये ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा. परवेज अहमद ने बताया कि एक ऑपरेशन के दौरान कॉम्प्लिकेशन आई, जिसमें स्टेम सेल जो कि एक कवच की तरह होता है वह पंचर हो गया था. लेकिन, उसे रिपेयर कर लिया गया और ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा.
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