Kanpur News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर देहात (Kanpur Dehat) में सरकारी स्कूलों की हालत बदहाल है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन के किनारे बैठकर पढ़ने को मजबूर हो रहे हैं. रेलवे ट्रैक पर बराबर ट्रेनें दौड़ती है. कभी भी कोई हादसा हो सकता है. रेलवे लाइन के किनारे बच्चो को पढ़ाते समय यदि कोई हादसा हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.
दरअसल, यह भोगनीपुर तहसील के पुखरायां स्थित मीरपुर के प्राथमिक और जूनियर विद्यालय का हाल है. जहां हर साल बारिश के दौरान विद्यालयों में पानी भर जाता है. विद्यालय में पानी भरने से विद्यालय जर्जर हो गया है तो विद्यालय की जमीन धंसने लगी है.
क्या है पूरा मामला?
भोगनीपुर तहसील के पुखरायां स्थित मीरपुर का यह विद्यालय बारिश के बाद खंडहर में तब्दील हो गया है, वहीं विद्यालय के बच्चों को रेलवे लाइन के किनारे बैठाकर शिक्षा ग्रहण कराई जा रही है, जहां बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे है. रेलवे ट्रैक से बराबर ट्रेनें गुजरती है जिससे शिक्षण कार्य तो प्रभावित होता ही है, साथ ही हादसे का डर भी बना रहता है. ऐसे में अगर कोई घटना घट जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. जिलाधिकारी और बीएसए द्वारा जनपद के स्कूलों में समय-समय पर निरीक्षण किए जाने की बातें सामने आती रहती है.
बारिश होने के बाद हर साल भर जाता है पानी
जिलाधिकारी और बीएसए की नजर इस विद्यालय पर अब तक क्यों नही पड़ी. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी और जनप्रतिनिधि उदासीन बने हुए है. जो सरकार के विकास के दावों पर पलीता लगाने का काम कर रहे हैं. वही ग्रामीणों ने विद्यालय के बारे में बताया कि बारिश होने से हर साल विद्यालय में पानी भर जाता है. बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है. इसके बाद भी जिले के अधिकारियों ने विद्यालय पर कोई ध्यान नही दिया है. वहीं बीएसए रिद्धि पांडे का कहना है कि उनको इस प्रकरण की जानकारी ही नही है. मीडिया द्वारा संज्ञान में आया है, अगर बच्चों को रेलवे लाइन के किनारे पढ़ाया जा रहा है तो उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा.
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