Kanpur news: कानपुर महानगर में मदरसों का सर्वे शुरू हो चुका है. जिला अधिकारी के निर्देश पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मदरसों का सर्वे कर रहे हैं. आज सर्वे टीम पटकापुर इलाके के जामे उल उलूम मदरसे में पहुचीं, जहां शासन की मंशा के अनुरूप 12 बिंदुओं पर बाकायदा जांच पड़ताल की गई. जिसमें गैर मान्यता प्राप्त मदरसे के सभी इंतजामों को परखा गया.


मदरसों के सर्वे का काम कानपुर में तेजी से शुरू हो गया है. एसडीएम सदर के नेतृत्व में महानगर में कुल 40 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को चिन्हित किया गया है, जिनकी व्यवस्थाओं को जांचा और परखा जा रहा है. आज जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पीके सिंह अपनी टीम के साथ पटकापुर इलाके के जाम ए उलूम मदरसा पहुंचे. ये मदरसा भी मदरसा बोर्ड से संचालित नहीं है, यानी गैर मान्यता प्राप्त है. देवबंदी विचार धारा वाले इस मदरसे में कुल 354 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.


मदरसे में टीम ने शासन द्वारा मांगे गए सभी बिंदुओं के जवाब तलब किए. छात्र संख्या का रजिस्टर, अध्यापकों की हाजिरी का ब्योरा, मदरसे में छात्रों को दिया जा रहे भोजन समेत तमाम सवाल जवाब किए गए.


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मदरसे के चेयरमैन और स्टाफ द्वारा टीम को बताया गया कि मदरसे में कुल 22 क्लासरूम हैं. मदरसा देवबंद से मान्यता प्राप्त है, जिसमे एक पुस्तकालय भी है. यहां 70 आवासीय कमरे, 42 शौचालय, 22 पेशाबघर और 1 हॉल है. यह मदरसा पिछले 145 साल से चल रहा है. यहां आने वाले दिनों में स्पेशल कोर्सेज संचालित किए जायेंगे. फिलहाल यहां प्राथमिक से हाई स्कूल तक शिक्षा दी जा रही है. 


'99 फीसदी मदरसे सही'


मदरसे के चेयरमैन ने कहा है कि सर्वे हो रहा है ये अच्छी पहल है. हालांकि उनका ये भी दावा रहा कि 99 फीसदी मदरसा सही तरीके से संचालित हो रहे है. इसके आगे उन्होंने ये भी कहां कि मदरसा और मस्जिद अगर दूसरे की जमीन पर बने हो तो उसे जरूर ढहा दिया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि मदरसा इस तरह से डेवलप किया जा रहा है कि जॉब ओरिएंटेड हो. इसीलिए यहां सांसद सत्यदेव पचौरी की सांसद निधि से काम कराया जा रहा है, जिसके बाद नौकरी देने का काम 3 महीनों में शुरू हो जाएगा.


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