Kanpur News: शिक्षक और स्नातक एमएलसी चुनाव का नामांकन शुरू हो गया है. इस बीच स्नातक एमएलसी चुनाव के लिए बीजेपी के सामने कोई मजबूत चुनौती दिखती नहीं है. स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की सीट लंबे समय तक कानपुर के मशहूर स्वरूप परिवार की जागीर जैसी समझी जाती रही है, लेकिन बीते दो चुनावों में भगवा लहर के कारण स्वरूप परिवार के पक्ष में समीकरण काफी कमजोर पड़ चुके हैं. 


शायद यही वजह है कि परिस्थितियों की नजाकत से भागते हुए बीते दो चुनावों में परिवार के प्रत्याशी रहे मानवेंद्र स्वरूप ने चुनाव न लड़ने का फैसला कर लिया है. हालांकि वो फोन पर तो इस बात की तस्दीक करते हैं, लेकिन सामने नहीं आते. जिसके चलते बीजेपी एमएलसी और उम्मीदवार अरुण पाठक काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं.


2015 और 2017 में बीजेपी ने जीत की थी हासिल
इस क्षेत्र में 34 साल तक एमएलसी रहे जगेंद्र स्वरूप की मौत के बाद साल 2015 में हुए उपचुनाव में उनके पुत्र मानवेंद्र स्वरूप मैदान में उतरे थे, लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी अरुण पाठक के समक्ष वो टिक नहीं सके. 2017 के चुनाव में एक बार फिर से बीजेपी प्रत्याशी अरुण पाठक ने मानवेंद्र स्वरूप को हरा दिया. पाठक का कार्यकाल फरवरी 2023 में खत्म हो रहा है और अब चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. एक समय में कानपुर उन्नाव, कानपुर देहात निर्वाचन क्षेत्र में स्वरूप परिवार की तूती बोलती थी. स्नातक मतदाताओं पर पकड़ का लाभ परिवार को मिलता था इसके चलते कांग्रेस या दूसरी पार्टियां प्रत्याशी तक नहीं उतारती थी. 


जगेंद्र स्वरूप का शालीन और सबकी मदद करने का स्वभाव राजनीतिक क्षेत्र में उन्हें ऊंचा सम्मान दिलाता था. एक बार नेताजी मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यसभा तक भेजने की कोशिश की थी लेकिन जगेंद्र स्वरूप ने सपा का प्रत्याशी बनने से इंकार कर दिया था. उनके निधन के बाद पुत्र मानवेंद्र स्वरुप चुनाव में उतरे, लेकिन तब तक पूरा क्षेत्र भगवा मय हो चुका था. 99 साल तक स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में सीट पर काबिज रहने वाले परिवार के चुनावी मैदान से हटने पर बीजेपी प्रत्याशी की जीत लगभग तय मानी जा रही है.


वहीं बीजेपी प्रत्याशी अपनी रिकॉर्ड जीत का दावा भी करते हैं और स्वरूप परिवार के कुछ लोगों के समर्थन का भी दावा पेश कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी से कमलेश यादव के रूप बीजेपी के अरुण पाठक के सामने चुनौती पेश करने की बात कही जा रही है लेकिन सूत्रों की माने तो बीजेपी दो लाख से ज्यादा वोट बनाकर स्नातक एमएलसी सीट को तीसरी बार भी जीतने का दम भर रही है वह भी रिकॉर्ड तोड़ मतों के साथ.


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