Kanpur News: कानपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का कमाल, विश्वविद्यालय में लगे पेड़ खुद दे रहें परिचय, जानें कैसे
UP News: कानपुर यूनिवर्सिटी में लगे लगभग एक हजार पेड़ अपनी हर छोटी से लेकर बड़ी बात आपसे साझा करते हैं. यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विनय पाठक के इस खोज से सब हैरान हैं.
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Kanpur News: देश लगातार डिजिटल की राह पर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है फिर चाहे कुछ खरीदना हो या कुछ देखना, डिजिटल इंडिया में सब डिजिटल है. वहीं कानपुर के विश्विद्यालय में भी अब पेड़ों का डिस्टलाइजेशन कर दिया गया है जिससे अब यहां के एक हजार पेड़ डिजिटल कर दिए गए हैं और हर पेड़ अपने व्यक्तित्व का परिचय देता दिखाई दे रहा है.
कानपुर यूनिवर्सिटी में लगे लगभग एक हजार पेड़ अपनी हर छोटी से लेकर बड़ी बात आपसे साझा करते हैं. सुनकर हैरानी हो रही होगी लेकिन ये हकीकत है यहां लगे सभी पेड़ों पर बारकोड लगा हुआ है जिसे स्कैन कर आप एक क्लिक में उसके बारे में हर जानकारी कुछ ही मिनटों में हासिल कर सकते हैं. यहां तक की आप उसका अंग्रेजी में नाम, उसकी उपयोगिता, उसके गुण और उसका लाभ सभी जान सकते हैं और ये अनोखी पहल कानपुर विश्विद्यालय के प्रोफेसर विनय पाठक के द्वारा की गई है.
कैसे हुआ पेड़ों का डिस्टलाइजेशन
दरअसल कानपुर विश्वविद्यालय में अलग अलग शहरों और दूर दराज से छात्र छात्राएं पढ़ने आते है और उनके परिवार जान भी और यहां पर लगे यूनिवर्सिटी की शोभा बढ़ा रहे हरे भरे पेड़ लोगों का मन लुभाए हुए है. जिसके चलते हम और आप हर पेड़ के बारे में पुख्ता और सही जानकारी नहीं रखते हैं. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सभी पेड़ों पर एक बारकोड लगा रखा है जिसे स्कैन करने पर पेड़ खुद अपनी जानकारी मोबाईल पर साझा कर देता है. साथ ही अपनी हर छोटी से लेकर बड़ी जानकारी दे देता है. इस समय कानपुर विश्विद्यालय पूरे यूपी में एक मात्र ऐसा संस्थान है जहां पेड़ अपना परिचय देते हैं.
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वहीं यहां पढ़ने वाले छात्र और छात्राओं के साथ यहां के प्रोफेसर का कहना है की यहां लगे सभी पेड़ एनिब्पेड से जुदा है और उन्हें स्कैन करने पर ये अपनी तमाम जानकारियां देते है जिससे हमे इनकी उपयोगिता ,उनका नाम और उनके गुण पता चल जाते हैं जो अमूमन नही पता होती हैं बहुत से पेड़ दवाओं के रूप में भी काम करते हैं जिनका औषधि में भी प्रयोग किया जाता है वहीं प्रोफेसर विशाल ने बताया की ये पहल विश्विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक की ओर से की गई है. वो डिजिटल कल्चर को डेवलप करना चाहते थे जिसके चलते इन स्बाहि पेड़ों पर क्यू आर कोड लगा दिया गया है. अब हर किसी में इस बात की उत्सुकता रहती है की आखिर पेड़ में ये क्यों लगा है और लोग भी इस बार स्कैन कर के इसकी जानकारी लेते हैं.
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