कानपुर: कोरोना और लॉकडाउन के बीच साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ गया है. कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते लोग घरों पर हैं, ऐसे में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और ऑनलाइन चैटिंग बढ़ गई है. लेकिन, इसी के साथ साइबर अपराध का ग्राफ भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. पिछले कुछ दिनों में फेसबुक के जरिए फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर लोगों से ब्लैक मेलिंग के केस सामने आए हैं. कानपुर में साइबर सेल की मानें तो हर महीने 4 से 5 केस फेसबुक में दोस्ती की रिक्वेस्ट भेजकर पैसों की ब्लैक मेलिंग के आ रहे हैं. 


ब्लैक मेल करते हैं जालसाज 
जानकारों की मानें तो फेसबुक के जरिए फ्रॉड के कई मामले सामने आए हैं जिनकी इन्वेस्टिगेशन की जा रही है. फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने के बाद व्हाट्सएप नंबर मांगा जाता है. इस पर वीडियो कॉल कर अश्लील चैट के लिए कहा जाता है. अश्लील चैट के दौरान स्क्रीन रिकॉर्ड कर लिया जाता है. बाद में कुछ दिन बाद वीडियो वायरल करने और यू ट्यूब में पोस्ट करने या फिर परिजनों को भेजने के नाम पर पैसों की ब्लैक मेलिंग शुरू की जाती है. 


सामने नहीं आते हैं लोग 
कानपुर में फेसबुक पर हो रहे फ्रॉड के हर महीने 4 से 5 मामले सामने आ रहे हैं. शिकायतें आ रही हैं लेकिन लोग पहचान छिपाने के चलते FIR नहीं कराते हैं. वीडियो वायरल होने के बाद ओपन नेटवर्क से पुलिस को जो सबूत मिलते हैं उन्हें लेने के साथ ही पीड़ित की ID डिलीट करवा दी जाती है. लेकिन, आवेदक को जांच के दौरान जब कॉल आना बंद हो जाता है तो वो शिकायत पर ध्यान नहीं देता. कई बार कॉल करने के बाद भी वो सामने नहीं आते हैं तो जांच शिथिल हो जाती है और जालसाजों को दूसरा शिकार करने का मौका मिल जाता है.  


ऐसे लेते हैं पैसा 
जालसाज पैसा लेने के लिए अकाउंट नंबर ना देकर G-pay, PhonePe के जरिए पैसा लेते हैं. पीड़ित जैसे ही एक अकाउंट में पैसा भेजता है तो जालसाज उस पैसे को आगे 5 से 6 अकाउंट में भेज देते हैं. ये अकाउंट 5 से 6 अलग-अलग राज्यों के होते हैं जिससे स्थानीय पुलिस को जांच करने में काफी परेशानी आती है. ये अकाउंट जिनके होते हैं उनमें से कुछ लोग मर चुके होते हैं तो किसी का पता गलत होता है. 


ये भी पढ़ें: 


एशिया में फेमस चाचा नेहरू अस्पताल फिर होगा फंक्शनल, सीएम योगी के निर्देश पर तैयार हो रही है कार्य योजना