Kanpur News: 20 गांवों को जोड़ने वाला पतरसा पुल हुआ जर्जर, ग्रामीण जान जोखिम में डालकर कर रहे पार
Kanpur Bridge: पुल के निर्माण के बाद से हादसों में रोक लगी, लेकिन करीब 17 साल बीतने के बाद लोहे का पुल पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. पुल की लोहे की चादर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है.
Kanpur News: कानपुर (Kanpur) में करीब बीस गांवों को शहर से जोड़ने वाला पतरसा पुल जर्जर हो गया है और जानलेवा साबित हो सकता है. कानपुर-झांसी रेलवे ट्रैक पर होने वाले हादसों की रोकथाम के लिए साल 2006 में स्थानीय लोगों द्वारा बनाए गए पतरसा पुल से गांवों की करीब पांच हजार की आबादी रोजाना सफर तय करती है. कई बार क्षेत्रीय विधायकों को आवागमन की समस्या से रूबरू कराने के बाद भी अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है, जिस कारण मजबूरीवश ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है.
कानपुर-झांसी रेलवे ट्रैक के किनारे बसें गांवों के ग्रामीणों को शहर में आने के दौरान रेलवे ट्रैक का सहारा लेना पड़ता था, जिससे रात के समय रेलवे ट्रैक पार करते समय ग्रामीण या तो ट्रेन की चपेट में आ जाते थे या फिर पांडु नदी में गिरकर हादसे का शिकार हो जाते थे. आए दिन होने वाले हादसों की रोकथाम के लिए क्षेत्र के समाजसेवी नवाब सिंह यादव ,ग्रामीणों और कुछ सहयोगियों के माध्यम से साल 2006 में करीब चार लाख रूपयों की लागत से इस लोहे के पुल का निर्माण कराया गया था.
लोहे का पुल पूरी तरह हो चुका है जर्जर
पुल के निर्माण के बाद से हादसों में रोक लगी, लेकिन करीब 17 साल बीतने के बाद लोहे का पुल पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. पुल की लोहे की चादर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. क्षतिग्रस्त पुल से वाहन लेकर निकलने पर पुल पूरी तरह से हिचकोले खाता है. जर्जर पुल का एक छोर गोविंद नगर विधानसभा और दूसरा बिठूर विधानसभा में होने के कारण क्षेत्रीय विधायकों ने इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया.
ग्रामीणों के मुताबिक क्षेत्रीय विधायकों को कई बार समस्या से अवगत कराया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. इस कारण से ग्रामीण हादसों का सफर करने को मजबूर हैं. ग्रामीण बताते हैं कि पनकी औधोगिक फैक्ट्री पास ही है जिसमें आसपास गांवों के लोग बड़ी संख्या में काम करते हैं और रोजाना फैक्ट्री आने-जाने के दौरान पुल से गुजरने में भय तो सताता है, लेकिन मजबूरीवश पुल से गुजरना पड़ता है. दूसरे रास्ते से करीब सात से आठ किमी लंबा सफर करना पड़ता है.
दूसरा रास्ता लंबा होने के कारण स्कूल में होती है देरी
पतरसा निवासी छात्र छात्राएं स्कूल और कोचिंग जाने के दौरान गुजैनी-पतरसा पुल के माध्यम से सफर कर रहे हैं. दूसरा रास्ता काफी लंबा होने के कारण कई बार स्कूल पहुंचने में देर हो जाती है इसलिए जान हथेली पर रखकर पुल से गुजरते हैं. लोगों का कहना है कि उनके प्रतिनिधि इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे है और दो विधानसभाओं गोविंद नगर और बिठूर के चलते दोनों जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं.
लोग सरकार से नए पुल की मांग कर रहे हैं. वही जब गोविंद नगर विधान सभा से बीजेपी विधायक सुरेंद्र मैथानी से इस विषय पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनकी विधानसभा में ये क्षेत्र नहीं है पर वो जानकारी जुटाकर जल्द ही पुल निर्माण के लिए प्रयास करेंगे. रेलवे ट्रैक किनारे बसे पतरसा, कठार, दमगड़ा, कैंधा, मन्नी का पुरवा, ठाकुर प्रसाद का पुरवा, भीमसेन, सिंहपुर समेत कई गांव के ग्रामीण पुल का निर्माण न होने से प्रभावित हैं.
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