यमुना नदी का जलस्तर घटने के बाद मुसीबत में लोग, ध्वस्त हुए मकान, बढ़ा बीमारियों का खतरा
कानपुर देहात में यमुना नदी के घटते जलस्तर के बाद बड़ी मुसीबत देखने को मिल रही है. बीमारियों ने गांवों में डेरा डाल लिया है और लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
Kanpur flood: बारिश और बाढ़ के चलते जहां सैकड़ों गांव जलमग्न हो चुके थे. वहीं अब बाढ़ का पानी घटने के बाद सैकड़ों परिवारों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. पानी तो कम हो चुका है लेकिन बाढ़ से आए कीचड़ और तमाम तरह की बीमारियों ने लोगों की परेशानी को बढ़ा दिया है. गंदे पानी ने खतरनाक बीमारियों को लोगों के घरों तक पहुंचा दिया है.
हर तरफ है तबाही का मंजर
कानपुर देहात से होकर गुजरने वाली यमुना नदी का जलस्तर भले ही खतरे के निशान से नीचे आ गया हो लेकिन यमुना से लगे हुए करीब तीन दर्जन गांवों की हालत बद से बदतर हो गई है. लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. हालात ऐसे हैं कि जिन्हें देखकर रूह कांप जाए. हर ओर तबाही का ऐसा मंजर है जिसे देखकर ऐसा महसूस ही नहीं हो रहा कि यहां कभी कोई इंसानी बस्ती भी थी.
मकान मलबे में तब्दील हो गए हैं
यमुना नदी में आई भीषण बाढ़ ने पहले तो लोगों पर कहर बरपाया और फिर जाते-जाते लोगों के सामने नई समस्या खड़ी कर दी. जलस्तर घटने के बाद तमाम गांवों में बहुत सी समस्याओं ने जन्म ले लिया है. किसी के घर में रेंगने वाले जीव जंतुओं का डेरा जमा लिया है तो वहीं अच्छे खासे मकान मलबे में तब्दील हो गए हैं. दाने-दाने को मोहताज गांव के लेग चमत्कार की आस लगाए बैठे हैं.
सिर्फ आश्वासन ही मिला
ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि किसी तरह उनके घर की और गांव की तस्वीर फिर से पहले जैसे हो जाए. आपने बाढ़ ग्रस्त इलाकों में नेताओं और अधिकारियों का तांता लगते तो बहुत देखा होगा लेकिन ये भी सच है कि लोग आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. ऐसा ही कानपुर देहात में भी देखने को मिल रहा है. यहां भी तमाम नेता अधिकारी मुआयना करने तो आए और बड़े-बड़े आश्वासन भी गांव के लोगों को दिए लेकिन आश्वासन महज आश्वासन ही बनकर रह गया.
फसलें बर्बाद हो चुकी हैं
बाढ़ के बाद लोग बीमारी से जूझ रहे हैं, संक्रमण अपने चरम पर है और जानवर मर रहे हैं. फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. घर में अनाज का एक दाना भी नहीं है. कीचड़ इतना है कि जमीन पर पैर रखना भी दूभर हो गया है. जिन सड़कों पर कभी गाड़ियां चला करती थी वहां आज कई फीट कीचड़ नजर आ रहा है. मकान टूट गए हैं और लोग खस्ताहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं. बैठने और लेटने तक की जगह नहीं है लेकिन अधिकारी लगातार स्थिति के नियंत्रण की बात कर रहे हैं.
लोगों में आक्रोश
कानपुर देहात के महादेवा, जैसलपुर और एक अन्य गांव में हालात भयावह हैं. यमुना से सटे हुए क्योटा बंगार गांव में एबीपी गंगा की टीम पहुंची और जमीनी हालात का जायजा लिया. इस दौरान लोग गुस्से में नजर आए. किसी के पास खाने की दिक्कत थी तो किसी के पास रहने की समस्या. किसी की फसल बर्बाद हो गई है तो गई कोई भुखमरी की कगार पर था. हर ओर तबाही ही तबाही दिख रही थी.
खेत वीरान नजर आए
एबीपी गंगा की टीम ने जब लोगों से अधिकारियों के आने और सरकारी सुविधाओं के उपलब्ध कराने की बात पूछी तो जो सुनने में आया वो बेहद दर्दनाक था. लोग सुविधाओं के आश्वासन पर जिंदगी गुजराने को मजबूर थे. बीमारियों ने हर घर में डेरा डाल रखा था और ऐसे लोगों का हाल पूछने वाला कोई नजर नहीं आया. जिस जमीन पर कभी हल चला करते थे और फसलें लहराती थी आज वो खेत वीरान नजर आ रहे थे. यमुना नदी से लगे हुए कानपुर देहात की दो तहसीलें भोगनीपुर और सिकंदरा के करीब 25 गांव ऐसे थे जो बाढ़ से प्रभावित हो गए थे. इन सभी गांवों में लोगों को कमाम समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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