कानपुर. उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुये बिकरू कांड में शहीद हुये आठ पुलिस कर्मियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आ गई है. तीन जुलाई को हुये इस घातक हमले में पुलिस वालों पर गोलियों के अलावा धारदार हथियार से भी हमला किया गया. इसके अलावा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पूरे ऑपरेशन को लीड कर रहे सीओ देवेंद्र मिश्रा को काफी नजदीक से गोली मारी गई थी. उन्हें चार बुलेट लगी थीं. पीएम रिपोर्ट ये साफ हो गया है कि पुलिसवालों को बेरहमी से मारा गया था.


विकास दुबे और उसके गुर्गों का मकसद पुलिस कर्मियों को सिर्फ मारना ही नहीं, बल्कि उनसे बदला लेना भी था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सीओ देवेंद्र मिश्रा को कई गोलियां मारी गईं, जिसमें से तीन उनके शरीर से आर-पार हो गई. एक गोली उनके सिर में, एक छाती में और 2 पेट में लगी थी.


इसके अलावा विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ देवेंद्र मिश्रा को गोलियां मारने के बाद उनके पैर को भी काट दिया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि सभी गोलियां प्वाइंट ब्लैंक रेंज से मारी गईं.


पुलिसवालों को मारी गई थीं दस गोलियां


इसके अलावा अन्य पुलिस कर्मियों पर विकास दुबे ने जबरदस्त गोलियां दागीं. पीएम रिपोर्ट के मुताबिक अन्य पुलिसकर्मियों को आठ से दस गोलियां मारी गईं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर शरीर पर गोलियों के निशान देखकर दंग रह गए. पुलिसवालों के सिर, चेहरे, हाथ, पैर, सीने और पेट में गोलियां लगीं.


विकास दुबे और देवेंद्र मिश्रा के बीच थी दुश्मनी


विकास दुबे मामले में लगातार नई बातें सामने आ रही हैं. एबीपी गंगा को जानकारी मिली है कि सीओ देवेंद्र मिश्रा और विकास दुबे के बीच 22 साल पुरानी दुश्मनी थी. कल्याणपुर थाने में तैनाती के दौरान भी देवेंद्र मिश्रा की विकास दुबे से झड़प हुई थी. यही नहीं तत्कालीन इंस्पेक्टर कल्याणपुर हरिमोहन यादव और विकास दुबे के बीच कहासुनी के बाद हो मारपीट तक हुई थी.


सूत्रों से भी ये भी पता चला है कि तैश में आकर सिपाही रहे देवेंद्र मिश्रा ने विकास दुबे पर गोली चलाई थी. उस वक्त देवेंद्र मिश्रा ने स्मैक और अवैध तमंचे के साथ विकास को जेल भेजा था. ये घटना उस वक्त की है जब दिसंबर 1998 में कल्याणपुर में देवेंद्र मिश्रा सिपाही थे.


(रिपोर्टर संतोष कुमार के इनपुट से)


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