Kanpur: कानपुर अभियुक्त को वीआईपी ट्रीटमेंट देना कानपुर पुलिस के दो सिपाहियों को भारी पड़ गया है. कानपुर पुलिस कमिश्नर ने एक निजी वाहन से अभियुक्त को कानपुर देहात की कोर्ट ले जाने वाले दो सिपाहियों को परेड दलेल यानी 7 दिनों तक दो-दो घंटे दौड़ लगाने की सजा दे दी है. पुलिसकर्मियों की ये सज़ा आजकल कानपुर में चर्चा का विषय बन गई है. ये जवान पुलिस लाइन में हथियार उठाकर दौड़ते यह सिपाही किसी तरह क्व अभ्यास को अंजाम नहीं दे रहे हैं. बल्कि इन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि कानपुर पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने इन्हें सज़ा दी है. और सज़ा का नाम है, परेड दलेल.
क्या है परेड दलेल की सजा
दरअसल, परेड दलेल वह सजा होती है जिसमें छोटी मोटी गलतियां करने, ड्यूटी पर देर से आने, काम मे लापरवाही बरतने और किसी अभियुक्त के साथ कानून सम्मत व्यवहार ना करते हुए यानी वीवीआइपी ट्रीटमेंट देने के लिए दी जाती है.
दरअसल दुष्कर्म के आरोपी पूर्व इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी की खातिरदारी और सहूलियत देने के मामले में ये दोनों पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं. एडीसीपी लाइन बसंत लाल की जांच में दोनों पुलिसकर्मियों को मिसकंडक्ट का दोषी ठहराया गया जिसके बाद पुलिस आयुक्त ने इन्हें सजा दी.
निजी इनोवा कार से लेकर पहुंचे थे कोर्ट
कानपुर देहात के एक पुराने हत्या युक्त डकैती की वारदात में 19 अगस्त को माती कोर्ट में उसको सुनवाई के लिए तलब किया गया था. दिनेश त्रिपाठी के साथ हेड कांस्टेबल धर्मेंद्र और कांस्टेबल प्रेमपाल एक निजी इनोवा कार से माती अदालत पहुंचे थे. जिसकी सूचना कानपुर पुलिस आयुक्त असीम अरुण तक पहुंची थी. इसके बाद कानपुर के पुलिस कमिश्नर ने एडीसीपी लाइन बसंत लाल को इस मामले की जांच सौंपी थी मामले की जांच पूरी होने के बाद जांच में यह सामने आया कि दोनों इस मामले में दोषी हैं.
जांच के बाद दोनों पुलिसकर्मी दोषी पाए गए जिसके बाद पुलिस कमिश्नर ने उनको परेड दलेल की सजा सुनाई. इसके साथ ही हिदायत भी दी गई है कि अगर भविष्य में ऐसी गलती की गई तो विभागीय जांच कर और सख्त कार्रवाई की जाएगी. हालांकि पेशी आदि पर गाड़ी भेजने की जिम्मेदारी रिजर्व इंस्पेक्टर की होती है इस मामले में भी आरआई की ही जिम्मेदारी नजर आ रही है. ऐसे में जांच पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं.