(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kanpur: कानपुर शहर में कूड़ा उठाने वाली गाड़ी को नहीं दिया कचरा तो लगेगा जुर्माना, जानें- क्या हैं नए नियम?
Kanpur Waste Management: कानपुर शहर में गीला और सूखा कचरा निपटाने को लेकर नगर निगम ने नए नियम तय किए हैं. इसका पालन न करने वाले लोगों पर जुर्माने का भी प्रावधान है.
Kanpur News: नगर निगम ने कानपुर शहर को साफ सुथरा बनाने के लिए अभियान छेड़ दिया. 4 मार्च से कानपुर नगर निगम घर से कचरा ना देने वाले लोगों पर 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाने जा रहा है. यानी अब नगर निगम की कूड़ा उठान करने वाली गाड़ियों को कचरा ना देना आपको महंगा पड़ सकता है. इतना ही नहीं अगर आप घर से कचरा देते भी हैं लेकिन गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करके नहीं देते हैं तो भी आप पर मुसीबत आएगी. नगर निगम ऐसे घरों को चिह्नित कर उन पर जुर्माना लगाने की तैयारी कर चुका है.
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक शहर के सभी 110 वार्डों में लगभग 66 वार्डों से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन किया जा रहा है. इसमें से कई घर अभी कचरा नहीं देते और जो देते भी हैं उनमें अधिकतर घरों से गीला और सूखा कचरा अलग अलग नहीं आता है. इस पर लगाम लगाने के लिए शासन ने आदेश जारी किए हैं नगर निगम के अधिकारी आदेश को 4 मार्च से लागू करवाने जा रहे हैं और अगर किसी ने ऐसा नहीं किया तो उससे 5000 रुपये जुर्माना वसूला जाएगा. नगर निगम अभी 44 वार्डों से कूड़ा कलेक्शन नहीं शुरू कर सका है.
औद्योगिक क्षेत्र में सफाई कर्मी न होने के लग रहे आरोप
हालांकि नगर निगम के इस अभियान पर कानपुर की गलियां और खासकर इंडस्ट्रियल एरिया में फैली गंदगी ही बट्टा लगाती दिख रही है. यहां के उद्यमियों का कहना है कि नगर निगम को कई गुना ज्यादा टैक्स देने के बावजूद दादानगर इंडस्ट्रियल एरिया में आजतक एक भी सफाईकर्मी साफ सफाई के लिए नहीं रखे गए हैं. हालांकि नगर स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि दादा नगर में फैली गंदगी के लिए नगर निगम ने 40 सफाई कर्मियों की व्यवस्था की है लेकिन ये संख्या काफी कम है जिसे बातचीत करके बढ़ाया जाएगा.
सूखा और गीला कचरा का इस तरह होता है निस्तारण
नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक शहर से रोजाना 1150 टन कचरा उठाया जाता है जिसमें से 35 परसेंट गीला कचरा और 65 परसेंट सूखा कचरा होता है. गीला सूखा कचरा मिक्स होने से इसका निस्तारण ठीक से नहीं हो पाता जिससे कानपुर स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में भी लगातार पिछड़ रहा है. इसको देखते हुए शासन ने भारी जुर्माना लगाने का फैसला किया है. गीला कचरा में रसोई का कचरा, फल के छिलके, सड़े फल, सब्जी, बचा भोजन, अंडे के छिलके का कंपोस्ट खाद बनाकर इसका निदान किया जाता है. जबकि सूखे कचरे में बोतल, कागज कप, प्लेट, अखबार, बॉक्स, कपड़े, प्लास्टिक और लकड़ी का निपटान करने का अलग तरीका होता है.
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