Kanpur News: कानपुर में सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा जिले के आठ हजार छात्रों को भुगतना पड़ सकता है. दरअसल केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से दी जाने स्कॉलरशिप (Scholarship) के लिए इन छात्रों ने अपने कॉलेज के माध्यम से छात्रवृत्ति के लिए आवेदन भेजे थे. इन आवेदनों को 6 एफिलिएटिंग एजेंसीज के द्वारा जांच पड़ताल करके समाज कल्याण निदेशालय भेजना था, जिसमें सीएसजेएम कानपुर यूनिवर्सिटी, AKTU भी शामिल हैं. समाज कल्याण विभाग की मानें तो इनमें से 70 फीसदी तक मामले कानपुर विश्विद्यालय से जुड़े हैं. लेकिन जांच करने के बाद इन्हें समाज कल्याण निदेशालय नहीं भेजा गया.


समाज कल्याण विभाग का दावा है कि स्थिति ऐसी इसलिए बनी की इस काम को यानी आवेदन को लेकर संस्थान और एफिलिएटिंग एजेंसी खासकर CSJM विश्विद्यालय कानपुर के द्वारा ऐसा नहीं किया गया और आवेदन भेजे ही नहीं गए. ऐसे में 8000 छात्रों की छात्रवृत्ति अब अटक गई है. हालांकि सीएसजीएम कानपुर विश्विद्यालय का इस मामले में साफ कहना है कि इस मामले में वो बिलकुल पाक साफ हैं. क्योंकि उनके यहां किसी भी आवेदन को कभी रोका ही नहीं गया और विश्विद्यालय की इसमें कोई भी और किसी तरह की लापरवाही नहीं हुई.


नुकसान छात्रों का ही हो रहा है
इस बीच करीब 12 हजार छात्रों के आवेदन डेटा डिसमैच होने के कारण निरस्त कर दिए गए हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 में विभिन्न कक्षाओं में पढ़ने वाले करीब 77062 छात्रों ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया था. इसमें पिछड़ा वर्ग के 34 हजार और समाज कल्याण विभाग में एससी वर्ग के 24726 और अनुसूचित जाति के 18336 छात्र शामिल हैं. लेकिन 8 हजार छात्रों की छात्रवृत्ति पर जब तलवार लटक गई हो तो उनसे बात करना बेहद जरूरी हो जाता है, इसलिए एबीपी गंगा की टीम पहुंची किदवई नगर स्थित बारादेवी आईटीआई में जहां आईटीआई में ट्रेनिंग ले रहे बच्चे ये बात सुनकर काफी मायूस हो गए. किसान परिवार के कुछ छात्रों ने कहा कि सरकार को उन जैसे गरीबों के लिए बंद हो चुके पोर्टल को एक बार फिर से खोल देना चाहिए ताकि उनके आवेदन निदेशालय पहुंच जाएं और उन्हें छात्र वृत्ति का लाभ जरूर मिल सके.


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NIC का पोर्टल बंद हो चुका है अब आवेदन की तिथि भी निकल चुकी है. लापरवाही किसी की भी किसी स्तर की भी रही हो लेकिन असल में नुकसान छात्रों का ही हो रहा है. ऐसे में समाज कल्याण अधिकारी का कहना है कि 8000 छात्रों के आवेदन पत्र विश्वविद्यालय ने निदेशालय के पास भेजे ही नहीं थे और विश्विद्यालय का ये कहना कि उनका चोला पूरी तरह से पाक साफ है जो कई सवाल खड़े करता है. समाज कल्याण विभाग का मानना है कि अगले एक महीने में छात्रवृत्ति की वेबसाइट खोलने की मांग निदेशालय से की गई है और साइट खुलती है तो आवेदनों को फिर भेजा जाएगा. इसके बाद छात्रों को छात्रवृत्ति मिलने की संभावना बढ़ जाएगी.