कानपुर: अभी कुछ दिन पहले हैलेट अस्पताल पर मौत के आंकड़ों को छिपाने की खबर आई थी. अब हैलट अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगा है कि मौत होने के बाद मृतक की फाइल ही गायब कर दी गई है ताकि, अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौतों के आंकड़ों को छुपाया जा सके. वहीं, कई मृतकों के परिजन अब RTI भेजकर जवाब मांगने के लिए मजबूर हुए हैं. जबकि, कई कई लोग असिपताल के चक्कर लगा रहे हैं. इतनी मशक्कत के बाद भी लोगों को हैलट अस्पताल से लिखा-पढ़ी में मौत के कारणों का जवाब नहीं मिल पा रहा है.  


इलाज के दौरान हुई मौत 
कल्यानपुर में रहने वाली वंदना का आरोप है कि उनके पति विवेक 17 अप्रैल को हैलट अस्पताल के कोरोना वार्ड में सुबह 10 बजे भर्ती हुए थे. उन्होंने हैलट का पर्चा बनवाकर इलाज भी शुरू करवा दिया था. डॉक्टर अच्छे से इलाज भी कर रहे थे लेकिन हलात ज्यादा गंभीर होने के कारण उनके पति की मौत हो गई. इसके बाद उनके पति के शव को मर्चरी भेज दिया गया. अगले दिन श्मशान में अंतिम संस्कार कर दिया गया. जब वो हैलट अपने पति के मौत का प्रमाणपत्र लेने गईं तो उनको बताया गया कि हैलट अस्पताल में उनके एडमिट होने का कोई प्रमाण नहीं है, उनके पति यहां भर्ती ही नहीं हुए थे.  


परेशान परिजनों की मानें तो हैलट से मौत के कारणों में डॉक्टर की रिपोर्ट नहीं लगने के कारण नगर निगम से डेथ सर्टिफीकेट नहीं बन पा रहा है. इसके लिए वो हैलट के शीर्ष जिम्मेदारों से भी मिल चुकी हैं. लेकिन, कुछ भी हासिल नहीं हो पा रहा है. परिजनों को चिंता है कि अगर डेथ सर्टिफीकेट ना बन पाया तो भविष्य में बहुत सी मुश्किलें बढ़ जाएंगी. हालांकि, प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज इस मामले में कुछ भी बोलने से कतराते दिखते हैं.  


RTI के तहत हैलट प्रशासन से मांगा जवाब 
वहीं, फतेहपुर में रहने वाले हाईकोर्ट के अधिवक्ता योगेंद्र बताते हैं कि वो हैलट में अपने पिता की मौत के बाद कोरोना पॉजिटिव का सर्टिफिकेट लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं. 19 अप्रैल को उनके पिता गया प्रसाद भर्ती हुए थे और उनकी मौत 22 अप्रैल को हो गई थी. कई दिनों बाद मजबूरी में उन्होंने RTI के तहत हैलट प्रशासन से जवाब मांगा है. उनके  पिता का कोरोना का RTPCR का टेस्ट हुआ और इलाज भी. एक सप्ताह के भीतर हैलट में मौत भी हो गई लेकिन अभी तक कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट नहीं आई है. 


योगेंद्र को इस कारण से उनके फतेहपुर में अस्पतालों में हुए इलाज के मेडिक्लेम नहीं मिल पा रहे है. थक हारकर योगेंद्र को RTI का सहारा लेना पड़ रहा है. योगेंद्र ने अब हैलेट अस्पताल से RTI के जरियए अपने दिवंगत पिता की रिपोर्ट मांगी है.


हैलट प्रशासन को दी गई अंतिम चेतावनी 
यहां ये भी बता दें कि, कोरोना महामारी में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी मेडिकल कालेजों को आपदा फंड के तहत करोड़ों की धनराशि आवंटित की थी. हैलट अस्पताल को भी 13 करोड़ 96 लाख से अधिक की रकम आवंटित की गई थी, लेकिन हैलट इस फंड का इस्तेमाल करना भूल गया. पिछले वित्तीय वर्ष में भेजी गई रकम का इस्तेमाल ना होने पर जब शासन से चेतावनी पत्र जारी किया गया, तब हैलट प्रशासन को होश आया कि इस रकम का इस्तेमाल होना था. स्वास्थ्य शिक्षा विभाग हैलट प्रशासन को अंतिम चेतावनी भी दी है. 


दरअसल, कोरोना की पहली लहर में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं हो सके इसको लेकर सभी मेडिकल कॉलेजों को आपदा फंड से रकम भेजी गई थी. कानपुर मेडिकल कॉलेज को 13 करोड़ 94 लाख 67 हजार रुपए भेजे गए थे. शासन का उद्देश्य इस रकम से बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना था. प्राचार्य को विशेष अधिकार भी दिए गए थे कि इस रकम का इस्तेमाल आने विवेक से कर सकते हैं, लेकिन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में इसका इस्तेमाल करना ही भूल गया. वित्तिय वर्ष बीत जाने के बाद हैलट प्रशासन को होश आया. जिसके बाद शासन को एक पत्र लिखकर इस रकम के इस्तेमाल की अनुमति मांगी गई.


ये है नियम
किसी वित्तीय वर्ष में भेजी गई आपदा रकम का इस्तेमाल हर हाल में उसी वर्ष करना होता है. फाइनेंशियल ईयर क्लोजिंग के बाद कोई भी फंड लैप्स हो जाता है. उसी नियम के तहत हैलट में भेजा गया महामारी आपदा फंड का बजट मार्च में स्वतः लैप्स हो गया था. ऐसे फंड के दूसरे वित्तीय वर्ष में इस्तेमाल के लिए राज्यपाल की विशेष अनुमति की आवश्यकता पड़ती है. इस मामले में भी राज्यपाल से स्पेशल अनुमति लेनी पड़ी. शासन ने चेतावनी देकर फिलहाल उस फंड को जारी कर दिया है.


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