कानपुर के शेखर ने माउंट मेरु की 21800 फीट की पीक पर फहराया भारत झंडा, सरकार आर्थिक सहायता की गुहार
उत्तर प्रदेश के कानपुर के रतनलाल नगर का रहने वाला 23 का शेखर जिसने छोटी उम्र में ही 21 हजार फीट की चढ़ाई कर इतिहास रच दिया है. शेखर ने अपने सपने को पूरा करने के लिए सरकार से मांगी आर्थिक मदद.
Uttarpradesh News: कम उम्र में ही जबरदस्त हौसला रखने वाले 23 साल के युवा शेखर बिजलानी ने नेपाल के माउंट मेरु पर्वत की 21800 फीट की ऊंचाई वाली चोटी पर भारत का झंडा फहराया. वैसे तो शेखर ने इससे पहले भी कई पर्वतों पर चढ़कर अपना नाम पर्वतारोहियों की श्रेणी में दर्ज कराया है, लेकिन 21800 फीट की चढ़ाई की ये यात्रा उनके जीवन में अभी तक की सबसे ऊंची चढ़ाई रही है. तमाम कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने 18 दिनों की यात्रा कर इतनी ऊंची चोटी पर पहुँच कर भारत का झंडा फहराया है.
40 पर्वतारोहियों की लिस्ट में एकमात्र भारतीय शेखर
कानपुर के रतनलाल नगर के रहने वाले शेखर उन युवाओं में से हैं जिनके हौसले के आगे मुश्किले भी नतमस्तक हो जाती है. अपने जुनून और हौसले के बल पर शेखर ने मात्र 18 दिनों में इस कठिनाईयों से भरी यात्रा को पूर्ण किया और अपने परिवार के साथ कानपुर और देश का नाम भी रोशन किया. शेखर ने करीब ढाई लाख रुपये खर्च करके इस यात्रा को पूरी की. इसके साथ ही इस चोटी को फतह करने वाले शेखर भारत के एकमात्र युवा है. शेखर के साथ इस यात्रा में अलग-अलग देशों के पर्वतारोही भी शामिल थे. इससे पहले शेखर ने 18 हजार फीट की कंचनजंगा पहाड़ी को भी फतह किया है. शेखर की इस कठिन यात्रा में कुल 40 पर्वतारोही शामिल थे, जिनमें शेखर एकमात्र भारतीय पर्वतारोही थे.
शेखर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि, इतनी ऊंचाइयों पर चढ़ने के लिए आपको कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. तापमान बहुत कम होता है. नाक और उंगलियां जमने लगते हैं और ऐसी हालत में शरीर का हिस्सा जम जाने के बाद आपको उस अंग को काटना पड़ सकता है. शेखर ने ये भी बताया कि इस तरह की चोटियों पर चढ़ने के लिए सरकार से कोई सहायता नहीं मिली है. हमें देश और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं. ऐसे में सरकार से मांग है कि वो हमारी मदद करें और हमें फाइनेंस की सुविधा मुहैया कराए क्योंकि एक यात्रा को तय करने में लाखों का खर्च आता है. मैं भविष्य में ऐसी बहुत सी चोटियों पर जाकर देश का नाम रौशन करना चाहता हूं.
बेटे की मेहनत पर क्या बोले माता पिता
वहीं शेखर के एवरेस्ट पर चढ़ाई को लेकर माता पिता भी बेहद खुश है. उन्होंने बताया कि शेखर बेहद जिदी और जुनूनी है. अगर वो किसी बात को ठान ले तो उसे पूरा करके ही लेता है. अक्सर उसके इस तरह के रोमांच को लेकर डर भी लगा रहता है क्योंकि इस तरह की चढ़ाइयां और एडवेंचर जान को जोखिम में डाल सकते हैं. लेकिन जब शेखर इसे पूरा कर लेता है तो हमें खुशी भी होती है. वैसे शेखर बिजलानी बीबीए की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं और एक पर्वतारोही बन अपने भविष्य को नया मुकाम देना चाहते हैं. शेखर अपनी हिम्मत और जुनून के बदौलत लगातार अपने परिवार और देश का नाम रौशन कर रहे हैं. बस उन्हें इसके लिए सरकार से आर्थिक मदद चाहिए ताकि उनके सपने पैसों की कमी के चलते दम न तोड़ दे.
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