कानपुर में बेटा-बेटी बने मसीहा! वकालत की पढ़ाई कर पिता को 11 साल बाद कराया दोषमुक्त
UP News: कानपुर में फर्जी गैंगरेप के आरोप में 11 साल से जेल में बंद एक व्यक्ति को अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया. उनके जेल से बाहर आने की वजह चर्चा का विषय बनी हुई है, जानें पूरी वजह?
Kanpur News: कानपुर से एक व्यक्ति के जेल जाने और फिर दोषमुक्त होकर बाहर आने की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है. जटिल कानूनी दाव पेंच में फंसकर पीड़ित को 11 साल तक जेल में बिताना पड़ा. पीड़ित के लिए उसका बेटा और बेटी मसीहा बनकर ऐसे समय में आए जब उनकी मालीहालत खराब थी और जमानत कराने के लिए वकीलों को देने के लिए भी पैसे नहीं थे.
पीड़ित के बच्चे उसके जेल जाने के समय छोटे थे. खराब माली हालत की वजह से मुकदमा लंबा खिंचता चला गया. मासूम बच्चों ने पढ़ाई लेते हुए अनोखा संकल्प लिया. दोनों भाई-बहन ने पिता को दोषमुक्त कराने और जेल से बाहर लाने के लिए वकालत की पढ़ाई शुरू कर दी. इतना ही नहीं दोनों वकालत की डिग्री हासिल करने के बाद पिता का केस लड़ा और फर्जी गैंगरेप के मुकदमे से दोषमुक्त कराया.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ये पूरा मामला कानपुर के बिठूर थाना क्षेत्र का है, जब साल 2013 में एक मामला दर्ज हुआ, जिसमें अनिल गौड़ नाम के एक शख्स को उसके ही पड़ोसी ने महज खेत बटाई पर न देने की वजह से नाराज हो गया. इसी रंजिश में उसने अनिल गौड़ पर फर्जी गैंगरेप का मामला दर्ज कराया और पुलिस ने उन्हें जेल में डाल दिया.
जिस समय अनिल गौड़ को फर्जी मामले में जेल जाना पड़ा था, उस समय बच्चे छोटे थे. पति के जेल जाने के बाद पत्नी बेसहारा हो गई. अपने पति को जेल से रिहा कराने के लिए पत्नी को दर-दर पर मदद मांगी, लेकिन नतीजा सिफर रहा. इस भागदौड़ में उनके घर की हालत बद से बदतर होती चली गई. नौबत ये आ गई थी कि उन्हें खर्च चलाने के लिए छोटी-छोटी जरुरत की चीजें बेचनी पड़ी.
पिता को छुड़ाने के लिए की वकालत
अनिल गौड़ के बच्चे घर की बेबसी देखकर सहमे हुए थे. दूसरी तरफ जेल में बंद अनिल बाहर आने के लिए तमाम जतन पत्नी से करा रहे थे, लेकिन आर्थिक स्थिति उनकी रिहाई में रोड़ा बन रही थी. वकील अपनी फीस न मिलने की वजह से मुकदमा देखने में हीलाहवाली कर रहे थे.
बीतते समय के साथ अनिल गौड़ के बच्चे बड़े हो गए. इसके बाद पिता को दोषमुक्त कराने के लिए उन्होंने वकालत की पढ़ाई की. अनिल की बेटी उपासना और बेटा ऋषभ वकील बने. उन्होंने अपनी जिंदगी का पहला मुकदमा अपने पिता का लड़ा और 11 साल बाद न्यायालय से दोषमुक्त कराया.
'बेटी-बेटा मसीहा से कम नहीं'
गैंगरेप के आरोप में दोषमुक्त होने और जेल से बाहर आने के बाद अनिल गौड़ ने कहा, "उनकी बेटी और बेटा किसी मसीहा से कम नहीं थे." उन्होंने प्रार्थना की कि, "भगवान सबको उनके जैसे ही बच्चे दें."
इस मामले में पिता को दोषमुक्त कराने वाले ऋषभ ओर उपासना ने बताया कि उन्होंने अपने 11 साल की जिंदगी में कई परेशानियों को बहुत करीब से देखा है. उनके घर में पैसे नहीं थे और वकील पैसों के अभाव में मुकदमें में कोई काम नहीं कर रहे थे. इसके बाद उन्होंने संकल्प लिया कि अब वो अपने पिता को खुद दोषमुक्त कराकर जेल से बाहर लाएंगे.
पिता को बच्चों पर था यकीन
अनिल गौड़ के पुत्र ऋषभ ने बताया कि उन्होंने पिता के केस को लंब समय से देखा और समझा था. उन्होंने कहा कि मैंने इस केस को अपनी जिंदगी का पहला और आखिरी मुकदमा समझ कर लड़ा था, जिसमें उन्हें सफलता मिली और आज उनके पिता अनिल गौड़ न्यायालय से बाइज्जत बरी हुए हैं.
इस मामले में अनिल गौड़ की बेटी उपासना ने बताया कि पिता को दोषमुक्त कराना हमारे लिए चुनौती थी. उपासना ने कहा, "इस मामले में एक पिता का अपने बच्चों पर विश्वास था. हमें जितना विश्वास अपने आप पर था, उससे ज्यादा यकीन हमारे पिता को हमारी वकालत और हमारी मेहनत पर था."
ये भी पढ़ें: यूपी में यमुना एक्सप्रेस वे को जोड़ेगी 8.5 km की ये सड़क, 30 मीटर होगी चौड़ाई, इस तरह से बनेगी हाईटेक