कानपुर: कोरोना की दूसरी लहर उन रोगियों पर भारी पड़ी है जिनको सर्जरी करानी थी. इस वक्त अस्पतालों में सिलेक्टेड सर्जरी बंद है और मरीज भी कोरोना के डर से घर से नहीं निकल रहे हैं. लगभग 50 दिनों के कोरोना काल में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों और उर्सला अस्पताल को मिलाकर कई मरीजों की सर्जरी अटकी हुई है. सबसे चिंताजनक स्थिति कैंसर के मरीजों की है. सर्जरी टल जाने की वजह से उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 


दूसरी लहर की गिरफ्त में आ गया शहर 
कोरोना की पहली लहर के बाद मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में सिलेक्टिव सर्जरी ढंग से शुरू भी नहीं हो पाई थी कि शहर दूसरी लहर की गिरफ्त में आ गया. ऐसे में पुराने मरीजों में सिर्फ 10 फीसदी की ही सर्जरी हो पाई थी. इसके बाद से हृदय रोग, कैंसर, जनरल समेत विभिन्न विभागों में सिलेक्टेड सर्जरी बंद है. तकरीबन 2 हजार ऐसे मरीज सर्जरी के इंतजार में बैठे हैं जिन्हें ओपीडी में इसकी सलाह दी गई थी.  


नहीं हो पाई सर्जरी
सर्जरी कराने वालों में शहर के अलावा फतेहपुर, कौशांबी, उन्नाव, औरैया, कानपुर देहात, जालौन, हमीरपुर, हरदोई समते कई जिलों के मरीज शामिल है. उर्सला अस्पताल में भी सर्जरी बंद है. कोरोना काल में यहां 500 के करीब मरीजों की सर्जरी नहीं हो पाई है. इनमें पेट रोग, अस्थि रोग और गुर्दा के रोगी शामिल हैं. 


सरकारी अस्पताल कोरोना काल में सर्जरी कर नहीं रहे थे
उर्सला अस्पताल के सीएमएस का कहना है कि जिन्हें जरूरी रहा होगा उन्होंने बाहर या फिर सरकारी अस्पतालों में सर्जरी करवा ली होगी. लेकिन, सीएमएस को ये नहीं मालूम है कि सभी सरकारी अस्पताल कोरोना काल में सर्जरी कर नहीं रहे थे और अगर निजी अस्पताल कर भी रहे थे तो उन गरीबों का क्या हुआ होगा जो वहां ऑपरेशन के लिए नहीं पहुच पाए होंगे. हौरानी तो तब होती है जब ऐसी ही बयानबाजी मंडलायुक्त डॉ राजशेखर भी करते नजर आते हैं. 


बढ़ गई है मरीजों की परेशानी 
सभी कह रहे हैं कि हालात सामान्य होने पर प्राथमिकता के आधार पर ऐसे मरीजों की सर्जरी की जाएगी. लेकिन जिस कैंसर के मरीज को इस बीच सर्जरी की जरूरत रही होगी, उसका क्या हाल होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. जिनकी सर्जरी डेढ़ से 2 महीने पहले होनी थी वो अब बीमारी की अगली स्टेज पर पहुंच गए हैं इससे उनकी सर्जरी भी संभव नहीं होगी. ऐसे में यूपी सरकार में मंत्री नीलिमा कटियार की अपनी ही दलील है. उनका कहना है कि जैसी ही थोड़ा मामला संभल था सर्जरी शुरू हो गई थी. निजी अस्पतालों ने सर्जरी की थी. कमी को पूरा करने का प्रयास करेंगे.


सरकार को उठाने चाहिए कदम 
कोरोना की दूसरी लहर ने कई लोगों की जान ले ली. इसमें भी बहुत सच्चाई है कि कुछ लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित रहे हों और सर्जरी ना हो पाने से उनकी मौत हो गई. लेकिन, अब सरकार को जल्द इस बाबत कदम उठाकर रोगियों को फौरी राहत पहुंचानी चाहिए. 


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