कानपुर: शिक्षा से वंचित रह गया कानपुर का एक शख्स समाज में शिक्षा की अलख अपनी तरह से जगा रहा है. कानपुर नगर के विनायकपुर में रहने वाले महबूब मलिक चाय की रेहड़ी से होने वाली कमाई के 80 फीसदी पैसे को गरीब बच्चों को पढ़ाने में लगा रहे हैं. यही नहीं बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने 50 हजार रुपये का लोन तक ले रखा है.
समाज के लिए उदाहरण हैं महबूब
इंसान के जीवन में बहुत सारी ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें वो चाह कर भी नहीं पा पाता. लेकिन, जिंदगी यहीं थमने का नाम नहीं होती. गाहे-बगाहे समाज में ऐसे उदाहरण सामने आते हैं जो अपनी तमाम विषमताओं को दूर करते हुए आगे बढ़ते हैं और अपने सपनों को साकार भी करते हैं. इन्हीं में से एक हैं कानपुर के रहने वाले महबूब मलिक. महबूब खुद तो दसवीं क्लास तक ही पढ़ाई कर पाए क्योंकि उनके परिजन उन्हें आगे पैसे की कमी के चलते नहीं पढ़ा सकते थे. ऐसे में महबूब ने ठाना कि जिस चीज से वो महरूम रह गए उसे अगली पीढ़ी के साथ नहीं होने देंगे.
परिवार का मिलता है सहयोग
पांच भाइयों के परिवार में महबूब मलिक ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए मलिन बस्तियों काशीराम कॉलोनी में जाकर गुजर बसर करने वाले लोगों को बहुत मेहनत से समझाया कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर कुछ मुकाम हासिल कर सकते हैं. लेकिन, शुरुआत में उनको निराशा मिली. आगे चलकर महबूब मलिक ने इन बस्तियों में जैसे तैसे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. आज महबूब मलिक विनायक पुर में किराए पर एक जगह लेकर 40 बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. अब तक महबूब मलिक करीब साढ़े तीन सौ से ज्यादा बच्चों को शिक्षित कर चुके हैं. महबूब अपनी कमाई का 80 फीसदी हिस्सा इन बच्चों की शिक्षा में खर्च करते हैं और इसमें उनको परिवार का भी पूरा सहयोग मिलता है.
निशुल्क दे रहे हैं सेवाएं
महबूब मलिक के इस स्कूल में उनके अलावा तीन अन्य टीचर भी हैं जो निशुल्क अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इनमें से एक अध्यापक सर्विस के साथ-साथ बच्चों को शिक्षित करता है जबकि दो अन्य शिक्षिकाएं खुद पढ़ते हुए बच्चों को यहां पढ़ाती हैं.
अभिभावक देते हैं दुआएं
मलिन बस्तियों में रहने वाले ये बच्चे अगर इस स्कूल में ना होते तो गलियों में या तो भटक रहे होते या फिर कूड़ा बीनने जैसा काम कर रहे होते. इन बच्चों को स्कूल में पढ़ता देख उनके अभिभावक महबूब मलिक को बहुत दुआएं देते हैं और उनके भविष्य की लिए शुभकामनाएं भी देते हैं.
वीवीएस लक्ष्मण भी कर चुके हैं तारीफ
समाज के लिए किए जा रहे हैं इस काम की तारीफ पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण भी कर चुके हैं. कोरोना काल के दौरान शिक्षण कार्य प्रभावित रहा लेकिन अब फिर मलिक ने बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया है. कोरना काल में पैसों की दिक्कत के चलते महबूब मलिक को बैंक ऑफ बड़ौदा से 50 हजार का लोन भी बच्चों की शिक्षा के लिए लेना पड़ा. ऐसे में आप मलिक के जज्बे को समझ सकते हैं कि जिस चीज को वो नहीं पा सके अब इसकी कमी इन बच्चों को नहीं होने देना चाहते हैं.
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