UP News: उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) में सात साल पहले एक स्कूल के प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला (Ramesh Babu Shukla) को आतंकियों ने सिर्फ इसलिए गोली मार दी थी कि उनके हाथ में कलावा और माथे पर तिलक लगा हुआ था. परिवार के अनुसार रमेश बाबू शुक्ला घर में इकलौते कमाने वाले थे और जाजमऊ (Jajmau) में एक स्कूल के प्रिंसिपल थे. पूजा-पाठ में विश्वास रखते थे और स्कूल, कोचिंग और वापस घर के अलावा कहीं नहीं जाते थे. इस मामले में एनआईए स्पेशल कोर्ट (NIA Special Court) ने आईएसआईएस (ISIS) से जुड़े आतिफ मुजफ्फर और फैसल को फांसी की सजा सुनाई है. साथ ही दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
मृतक रमेश शुक्ला के बेटे अक्षय का कहना है कि सात साल पहले एक दिन उसे फोन आया कि उसके पिता को किसी ने गोली मार दी है. आनन-फानन में जब वह काशीराम अस्पताल पहुंचा तो उनके पिता को डॉक्टरों की ओर से मृत घोषित कर दिया गया था. इसके बाद उसने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा लिखवाया था.
एक अधिकारी का आया था अक्षय के पास कॉल
अक्षय के मुताबिक पुलिस ने पूछा था कि पिता की किसी से कोई रंजिश तो नहीं, समय बीत गया लेकिन समझ नहीं आया कि पिता की हत्या किसने और क्यों की थी? फिर हत्या में शामिल एक आतंकी सैफुल्लाह, जिसका यूपी एटीएस ने लखनऊ में एनकाउंटर किया था, उसके यहां से कुछ दस्तावेज निकले. इसके बाद जांच कर रहे एक अधिकारी का रमेश बाबू के बेटे अक्षय के पास फोन आया और पूछा कि क्या आपके पिता हाथ में कलावा बांधते थे और पाठ पूजा करते थे?
रमेश बाबू शुक्ला के परिजनों से सजा पर क्या कहा?
अक्षय ने इस सवाल का जवाब हां में दिया, जिसके बाद उस अधिकारी ने फोन रख दिया. इसके अगले दिन मीडिया के माध्यम से उन्हें पता चला कि सिर्फ हिंदू होने की वजह से उनके पिता की हत्या कर दी गई थी. परिजनों का कहना है कि जो उन्हें सजा मिली है वो हमें न्याय मिला है, जो हमारे परिवार ने सहन किया है वो और किसी को सहन न करना पड़े.
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