कानपुर: कानपुर क्राइम ब्रांच ने इंश्योरेंस कंपनी के एजेंटों से ग्राहकों का डाटा खरीद कर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का खुलासा किया है. गिरोह के लोग ग्राहकों को प्रीमियम में छूट देने का बहाना करके उनके साथ ठगी करते थे. क्राइम ब्रांच ने सरगना समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. ताज्जुब की बात है कि इनमें से गिरोह का एक सदस्य प्रधानमंत्री कौशल विकास प्रशिक्षण की ट्रेनिंग भी कर चुका था.


साइबर फ्रॉड करने वाले जालसाज रोजाना नए नए तरीके अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. कानपुर पुलिस ने जो खुलासा किया है उसके मुताबिक ये अंतरराज्यीय गिरोह कंपनी के एजेंट बनकर ग्राहकों से संपर्क कर पिछले 2 सालों से दो करोड़ रुपए से भी अधिक की चपत लगा चुके हैं. साइबर ठगी का यह हाईटेक गिरोह दिल्ली यूपी, एमपी, तेलांगना, कर्नाटक, बिहार और गुजरात समेत देश के करीब 10 राज्यों में सक्रिय है. आरोपी लखनऊ स्थित किराए के फ्लैट में बैठकर ठगी को अंजाम देते थे पूछताछ करने के बाद पुलिस ने सभी को जेल भेज दिया है.


एडीसीपी क्राइम दीपक भूकर की मानें तो 24 मई को गुजैनी के रहने वाले एक व्यक्ति ने बर्रा थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसमें बताया गया था कि मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में उसका बीमा है. कुछ दिन पहले कंपनी के एजेंट बनकर किसी ने उनको फोन किया. बीमा की किस्त में 10 फीसदी की छूट देने का हवाला दिया. उन्होंने खाते में ₹51000 जमा करा दिए. बाद में पता चला कि फर्जीवाड़ा हो गया है क्राइम ब्रांच ने तफ्तीश कर गिरोह के सरगना शिवम कुशवाहा, वरुण सिंह, करण सिंह, आशीष कनौजिया, करण शर्मा और अमन को बर्रा से गिरफ्तार कर लिया. 


आरोपी जस्ट डायल साइट से इंश्योरेंस एजेंट के नंबर लेते थे


गिरोह के 2 सदस्य गुड़गांव की इंश्योरेंस कंपनी में काम कर चुके थे जबकि एक सदस्य ने प्रधानमंत्री कौशल विकास की 3 महीने की ट्रेनिग प्राप्त की थी. लेकिन दुर्भाग्य से रोजगार परक ट्रेनिंग के बाद उसने इसका इस्तेमाल लोगों को ठगने में लगाया. इसी गिरोह ने अमित समेत सैकड़ों लोगों के साथ इसी तरह इंश्योरेंस कंपनी का एजेंट बन ठगी की थी.


बता दें कि आरोपी जस्ट डायल साइट से इंश्योरेंस एजेंट के नंबर लेते थे. उनसे ग्राहकों का डाटा खरीदते थे. जिसमें उनका नाम, मोबाइल नंबर, पॉलिसी नंबर होता था. इन्हें पता रहता था कि पॉलिसी कौन सी है किस्त देने की तारीख कब है. इसी आधार पर वह ग्राहकों को बात कर झांसे में ले लेते थे. जब वह पूरी जानकारी ग्राहक के बारे में खुद बता देते थे तो ग्राहकों को उन पर भरोसा हो जाता था. इसके बाद वह दिए गए खातों में रकम जमा कर देते थे. आरोपियों के पास से 8 मोबाइल, चार फर्जी आधार कार्ड, एटीएम कार्ड, 5 नए सिम, 6 इस्तेमाल किए गए सिम और करीब ₹8000 बरामद हुए हैं.


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