Climate change: पेड़ों के अंधाधुंध कटान, भीषण खनन, लगातार बढ़ते वाहन और बढ़ती आबादी के साथ-साथ एयर कंडीशनर इन सब ने मिलकर ऋतु चक्र को गंभीर रूप से असंतुलित कर दिया है. इसने असंतुलित इस हद तक किया है कि 6 ऋतुओं में से 3 ऋतुएं करीब-करीब गायब हो गई हैं. चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CSA University) के अध्ययन के मुताबिक उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) में वसंत ऋतु, शरद ऋतु और हेमंत ऋतु आती ही नहीं है.
एहसास कुछ दिन में खत्म
तापमान अब इतनी तेजी से बढ़ता या घटता है कि इन दो दो महीने वाली ऋतुओं का एहसास दो-चार दिन में ही खत्म हो जाता है. शहर में कुछ फीसदी क्षेत्र में ही हरियाली बची है. 25 साल पहले यह हरियाली करीब 3.5 फीसदी हुआ करती थी. तब से लेकर अब तक करीब ढाई दशक में वाहनों की संख्या 5 गुनी हो गई है. वैसे तो ग्लोबल वार्मिंग बड़ा कारण माना जाता है पर स्थानीय कारण भी असर डाल रहे हैं.
गर्मी ने तोड़ा रिकॉर्ड
ऋतु परिवर्तन में तापमान बड़ा कारक है. यह असंतुलित हो तो ऋतु गायब होने लगती हैं. मसलन फरवरी के अंतिम सप्ताह से अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक बसंत ऋतु होती है. इस अवधि में तापमान 20 से 24 डिग्री के बीच रहना चाहिए जो ढाई डिग्री तक बढ़ा हुआ रहने लगा है. मार्च-अप्रैल की गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
बसंत भी हो रहा खत्म
अध्ययन के मुताबिक इस बार शीत ऋतु के बाद वसंत की जगह सीधे ग्रीष्म ऋतु शुरू हो गई है. अगस्त के बाद गर्मी कम होनी चाहिए लेकिन कुछ वर्षों से नवंबर तक गर्मी से बचने के लिए और ठंड के अहसास के लिए एसी चलाने की नौबत रहती है.
अध्ययन में क्या पता चला
सीएसए ने पिछले कुछ वर्षों के तापमान का तुलनात्मक अध्ययन किया है. इसके मुताबिक मार्च के अधिकतम तापमान में औसतन 2.6 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान में 1.3 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है. इस बार मार्च माह में केवल 2 दिन अधिकतम तापमान सामान्य से कम 1 मार्च को 0.3 डिग्री और 5 मार्च को 1.1 डिग्री कम रहा है. शेष 29 दिनों में पारा सामान्य से अधिक रहा है. 4 दिन तो यह सामान्य से 5 डिग्री तक ज्यादा रहा. यहीं नहीं पिछले 15 दिनों से तापमान 40 डिग्री के आसपास ही बना हुआ है जो लोगों को झुलसा रहा है.
शरद भी हो रहा खत्म
बसंत ऋतु में मौसम ना ज्यादा गर्म होता है और ना ही ज्यादा ठंडा. इसके बाद तेज गर्मी पड़ती है. अब फरवरी से ही गर्मी की शुरुआत होकर मार्च-अप्रैल में मई-जून जैसी गर्मी पड़ने लगी है. इसी तरह शरद ऋतु में गर्मी कम होने लगती है पर अब अक्टूबर-नवंबर भी काफी गर्म होने लगे हैं. ऋतुओं में इस परिवर्तन के चलते इंसान, जानवर और फसलों को बहुत बड़ा नुकसान देखने को मिल रहा है.