UP News: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश पुलिस से कहा कि इसकी जांच की जाए कि क्या कानपुर में पिछले दिनों हुई सांप्रदायिक हिंसा में असामाजिक तत्वों द्वारा बच्चों को शामिल किया गया था. एनसीपीसीआर ने कानपुर के पुलिस आयुक्त को लिखे पत्र में कहा कि मीडिया रिपोर्ट के माध्यम से उसके संज्ञान में यह बात आई है कि एक नाबालिग लड़के ने कर्नलगंज थाने में समर्पण किया क्योंकि गत तीन जून को हुई हिंसा के मामले में वह संदिग्धों के पोस्टर में शामिल था.



असामाजिक तत्वों ने किया था बच्चों को शामिल


आयोग के अनुसार, इस मीडिया रिपोर्ट में यह संकेत भी मिलता है कि यह नाबालिग लड़का पथराव में शामिल था और वीडियो फुटेज के आधार पर उसकी पहचान की गई. उसकी राय है कि असामाजिक तत्वों ने इस हिंसा में बच्चों को शामिल किया था और प्रथम दृष्टया यह किशोर न्याय कानून, 2015 की धाराओं 75 और 83 (2) तथा भारतीय दंड संहिता की धाराओं के विरुद्ध है.



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बच्चों को पेश किया जाए बाल कल्याण समिति के समक्ष


आयोग ने पुलिस से कहा कि नाबालिग लड़के को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाए. एनसीपीसीआर ने कानपुर पुलिस से इस मामले में तीन दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट भी देने को कहा है. बता दें कि कानपुर में हिंसा के बाद सभी इलाकों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है.


इस मामले में अब तक 3 FIR में 500 नामजद बनाया गया है. दूसरी ओर आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के यूपी दौरे का दूसरा दिन है. राष्ट्रीय बाल आयोग ने कानपुर पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा से 3 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है कि जो नाबालिक बच्चे जेल जा रहे हैं उनको कौन उकसा रहा है पत्थर फेंकने के लिए


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