UP News: कानपुर (Kanpur) का गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (Ganesh Shankar Vidhyarthi Memorial Medical College) और नगर निगम (Municipal Corporation) कचरे के अंबार को लेकर आमने-सामने आ गए हैं. यहां स्वाइन फ्लू (Swine Flu) के कारण एमबीबीएस की एक छात्रा पाखी की मौत तक हो चुकी है, इसके बावजूद 125 एकड़ में फैले कानपुर मेडिकल कॉलेज में गंदगी हटाने पर सही से काम नहीं हो रहा. साफ-सफाई की व्यवस्था का ज़िम्मा कानपुर नगर निगम ने जेटीएन कंपनी को दे रखा है लेकिन अब इस कंपनी की कार्य़शैली पर ही सवाल उठ खड़े हुए हैं.


मेडिकल ऑफिसर सीएम को भेज चुके हैं रिपोर्ट


कानपुर मेडिकल कॉलेज 125 एकड़ इलाके में फैला हुआ है और यहां आवारा जानवर गंदगी और कूड़े का अंबार चर्चा का विषय बना हुआ है. आरोप-प्रत्यारोप के बीच मेडिकल कॉलेज और नगर निगम में तलवारें खिंच गई हैं. मेडिकल कॉलेज प्रशासन इसे नगर निगम की लापरवाही बता रहा है तो नगर निगम मेडिकल कॉलेज पर छात्रों की जिम्मेदारी से मुंह चुराने के आरोप लगा रहा है. मामला शासन तक पहुंच चुका है और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा तक कैंपस में आकर इसका निरीक्षण कर मुख्यमंत्री को रिपोर्ट दे चुके हैं. इस बीच कानपुर नगर निगम की महापौर प्रमिला पांडे और गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज कानपुर के प्रिंसिपल के बीच जुबानी जंग जारी है. मेडिकल कॉलेज की गंदगी और कूड़े का अंबार नगर निगम की नाकामियों का नतीजा है.


प्रिंसिपल की दलील पर मेयर ने दिया यह जवाब


जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल सजय काला ने कहा, 'हमें बताया जाए कि हमने क्या नहीं किया है. हमने नगर निगम के टेंडर पर कूड़ा उठान करने वाली कंपनी जेटीएन के अधिकारियों को बुलाया है. 2 सितंबर से 27 सितंबर तक ज्यादा बारिश हुई थी कूड़ा उठान नहीं किया गया था. जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण हमारे पास हैं. एक दूसरे पर आरोप लगाने से बेहतर है आमने सामने बैठ कर बात कर ली जाए.' उधर, कानपुर की मेयर प्रमिला पांडे मेडिकल कॉलेज प्रशासन से बेहद खफा है उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया और 125 कर्मचारी कूड़ा गंदगी साफ नहीं करते रहे तो मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उनको इस बारे अवगत क्यों नहीं कराया जिसके चलते एक एमबीबीएस स्टूडेंट पार्टी की मौत तक हो गई. 


मेयर प्रमिला पांडे ने कहा, 'हमारे शहर का मेडिकल कॉलेज है. जहां देशभर से बच्चे पढ़ने आते हैं. मेडिकल कॉलेज की स्थिति देखकर मुझे लगा कि कॉलेज प्रशासन अगर शुरू में देखभाल करता तो ऐसी घटना नहीं घटती और एमबीबीएस की स्टूडेंट की मौत नहीं होती. अगर नगर निगम की जिम्मेदारी थी तो मेडिकल कॉलेज ने अब अपने कर्मचारियों पर कार्रवाई क्यों की है.'


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