Kanpur News: सैलानियों और पर्यटकों के लिए कानपुर प्राणी उद्यान एक प्रमुख केंद्र है, प्राकृतिक जंगल में बने इस प्राकृतिक प्राणी उद्यान में यहां के रह रहे जानवर , पशु और पक्षियों को प्राकृतिक माहौल का अनुभव होता है. यहां जू घूमने आने वालों की बड़ी संख्या भी देखी जाती है. अक्सर बच्चों में इस बात का क्रेज रहता है कि वो प्राणी उद्यान में जाकर टाइगर को देखें. क्योंकि शेर ,चीता ही बच्चों की पहली पसंद होता है. ऐसे में अब कानपुर प्राणी उद्यान में प्रशांत नाम के बाघ की दहाड़ अब सुनाई नहीं देगी. क्योंकि बीमारी और बढ़ती उम्र के चलते देर रात प्रशांत ने दम तोड़ दिया.
कानपुर जू में प्रशांत सबसे पुराना बाघ माना जाता है, साल 2010 में इसे कानपुर प्राणी उद्यान में लाया गया था. जिसके बाद से ये यही इस प्राणी उद्यान की शान बना था. क्योंकि हर किसी में क्रेज था कि वो बाघ को देखे उसके करीब पहुंच सके और उसकी दहाड़ को सुने. लेकिन अपनी औसत आयु से ज्यादा जिंदा रहने वाला प्रशांत बीम होने लगा था. वहीं देर रात लगभग 12.30 पर कानपुर प्राणी उद्यान के प्रबंधन को इस बात की जानकारी मिली कि प्रशांत नहीं रहा उसकी मौत हो गई है.
क्या बोले फॉरेस्ट ऑफिसर नावेद इकराम
कानपुर प्राणी उद्यान के फॉरेस्ट ऑफिसर नावेद इकराम ने बताया कि इस बाघ को साल 2010 में रेस्क्यू कर फर्रुखाबाद के जंगलों से लाया गया था. उसकी उम्र महज 4 से 5 साल रही होगी और तभी से ये कानपुर प्राणी उद्यान की शान भी बना रहा. दर्शकों में इसे देखने की चाहत थी. ज्यादातर भीड़ प्रशांत के बाड़े के पास ही रहती थी और इस बाघ का नाम भी कानपुर जू में ही रखा गया और यहीं इसे प्रशांत नाम मिला. और इसके बाद ये इसी नाम के पुकारने पर रिस्पॉन्ड करने लगा था. अब देखना है कि प्रशांत की जगह अब इस बारे में कौन नया मेहमान कानपुर प्राणी उद्यान की शोभा बढ़ाएगा, साथ ही यहां किसकी दहाड़ सुनाई देगी.
ये भी पढ़ें: उपचुनाव में फिर भड़के AIMIM यूपी अध्यक्ष शौकत अली, चंद्रशेखर और विश्नोई समाज को लेकर कही ये बात