Kanshi Ram Death Anniversary: बहुजन समाज पार्टी (BSP) के संस्थापक कांशीराम की आज (9 अक्टूबर) पुण्यतिथि मनाई जा रही है. बसपा कांशीराम की पुण्यतिथि को परिनिर्वाण दिवस के तौर पर मना रही है. परिनिर्वाण दिवस पर मायावती ने कांशीराम को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बहुजन समाज को गुलामी से निकालने के लिए संघर्ष जारी रहेगा. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस, बीजेपी और सपा को भी कांशीराम याद आए. कांशीराम के बहाने तीनों राजनीतिक दलों की रणनीति दलित समाज को साधने की है.


बसपा मना रही परिनिर्वाण दिवस


बसपा कांशीराम की विरासत का दावा करती है. कांशीराम आंदोलन के जरिए दलित चेतना को उभारने में सफल रहे. उन्होंने सहयोग और क्रांति को नजरअंदाज करते हुए तीसरा रास्ता अपनाया. बामसेफ का गठन कर उन्होंने रणनीतिक कौशल और संगठनात्मक शक्ति का प्रदर्शन किया. कांशीराम ने बामसेफ से देशभर में अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को जोड़ा. बामसेफ का इस्तेमाल दलित शोषित समाज संघर्ष समिति यानी डीएस-4 बनाने में किया गया. उन्होंने आक्रामक तरीके से दलितों, निचले तबकों और मुसलमानों में पैठ बनाई.


कांशीराम का संघर्ष


आर्थिक रूप से शोषित और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों का व्यापक जनसमर्थन प्राप्त होने के बाद कांशीराम ने 1984 में पूरी तरह राजनीतिक पार्टी बसपा नाम से गठित की. पार्टी बनाकर उन्होंने इरादा साफ कर दिया कि बसपा सियासी मैदान में उतरेगी. कांशीराम ने भीमराव अंबेडकर के नारे को अपनाया. उन्होंने कहा कि राजनैतिक सत्ता सभी समस्याओं की मास्टर चाबी है. दलित उत्थान के लिए कांशीराम ने अभूतपूर्व संघर्ष किया. उन्होंने 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी' का नारा देकर सत्ता संघर्ष के लिए दलितों को तैयार किया. 


दलितों को साधने के लिए पार्टियों के कार्यक्रम 


दलितों को अधिकार दिलाने की लड़ाई में कांशीराम को बहुत हद तक सफलता मिली. उन्होंने मायावती को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवाया. देश की राजनीति की धारा बदलने में कांशीराम को कड़े संघर्ष और बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. आज कांशीराम की पुण्यतिथि पर भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. बीजेपी, सपा और कांग्रेस को भी लोकसभा चुनाव से पहले कांशीराम याद आ रहे हैं. 


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