Kanwar Yatra Nameplate Controversy: योगी सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे स्थित भोजनालयों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के फैसले पर घमासान मचा है. यूपी सरकार के इस फैसले पर विपक्ष लगातार निशाना साध रहा है तो वहीं बीजेपी के सहयोगी दल भी इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. नेमप्लेट मामले को लेकर अब देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने बयान दिया है. 


योगी सरकार के कांवड़ वाले फैसले पर देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा, ''मजहब-ए-इस्लाम और कुरआन-ए-मुकद्दस पाक पवित्र ग्रंथ है इस्लाम का. उसने इंसानों के जुड़ने की एक ही बुनियाद बनाई है और वो है इंसान होना. चूंकि हम सब के मां-बाप एक ही हैं. हजरत-ए-आदम और हव्वा. उन्हीं के हम नसल हैं. बाद में आस्थाएं बदल गई तो किसी को मुसलिम कहा जाने लगा, किसी को हिंदू कहा जाने लगा. रहा मसला ये दुकान के बाहर नाम लिखने का इससे और दूरी बढ़ेगी, बल्कि घटेगी नहीं. इसलिए हम इसका विरोध करते हैं.'' 


''इससे और दूरियां बढ़ेगी''


देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने आगे कहा, '' इसलिए जब आप नाम लिखवाएंगे तो बहुत सा जो गलत विचार का व्यक्ति होगा वो हमारे हिंदू भाई जो कांवड़ लेकर जा रहे हैं उनकी खिदमत करना चाहते है, लेकिन आपने उसको नाम लिखवा दिया. अब सामने वाले के दिल में उसके लिए अलग विचार पैदा हो जाएगा तो वह उसका बॉयकॉट करेगा. इससे और दूरियां बढ़ेगी. इस फरमान से बचना चाहिए. ये तकसीम का फार्मूला है मोहब्बत का फॉर्मूला नहीं है.''


सीएम योगी के फैसला पर जताया विरोध


योगी सरकार के नेमप्लेट फैसले पर देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा, मुजफ्फरपुर प्रशासन की प्रशासनिक क्या मजबूरियां हैं वो तो वो जानें. मैंने जो बताया वो कुरआन मजिद का कॉन्सेप्ट है. रही बात एसएसपी का क्या नजरिया है तो आप उसे पूछे कि आपने ये फरमान क्यों जारी किया है. यो तो मुसलमान और हिंदुओं को और बांटने का काम करेगा बजाय मुहब्बतों के साथ परवान चढ़ने का. मैं मुजफ्फरनगर का रहने वाला हूं. मैंने देखा है कि पता नहीं कितने हमारे मुसलमान भाई टोपी ओढ़-ओढ़ कर के कांवड़ियों के मोहब्बत में उनको खिलाते पिलाते हैं. तो उसमें आप नाम क्यों लिखवा रहे हैं. ये हमारी समझ में नहीं आती.  


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