Nameplate Controversy: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने का सामान बेचने वाले सभी दुकानदारों को अपनी पहचान लिखने का निर्देश दिया गया है. इस आदेश के तरह कांवड़ रूट पर पड़ने वाले होटलों, ढाबों, दुकानों और ठेलों पर दुकानदारों को अपनी नेम प्लेट लगानी होगी ताकि कांवड़ियों को पता चल सके कि वो किससे सामान खरीद रहे हैं. यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया है. हरिद्वार के एसएसपी ने अपने साथ आधार कार्ड और पहचान पत्र लिखने के भी निर्देश दिए हैं.


दरअसल कांवड़ यात्रा को देखते हुए मुजफ्फरनगर पुलिस प्रशासन की ओर से सबसे पहले इस तरह के निर्देश जारी किए गए थी, जिसमें पूरे रूट पर दुकानदारों ने उनका नाम लिखने को कहा गया था. जिसके बाद विपक्षी दलों ने बीजेपी पर निशाना साध लिया. पहले माना जा रहा था इस फ़ैसले को वापस लिया जा सकता है लेकिन शुक्रवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे और विस्तार दे दिया और पूरे प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट की दुकानों पर पहचान लिखने के आदेश दे दिए.


सभी दुकानों पर पहचान लिखने के निर्देश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने कांवड़ यात्रियों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए पूरे प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों पर 'नेमप्लेट' लगाने आदेश जारी कर दिया और सभी दुकानदारों का इसका पालन करने के निर्देश दिए. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि कांवड़ यात्रियों की आस्था की पवित्रता बनाए रखा जा सके. यही नहीं हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट पर भी रोक लगा दी गई है. ऐसा करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी. 


उत्तराखंड में भी आदेश जारी
यूपी की तर्ज उत्तराखंड में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया है. हरिद्वार के डीएम धीरज गरबियाल ने कहा कि हमने नगर निगम को आदेश दिया है कि जो भी लाइसेंस उनके द्वारा जारी किए जाते हैं उन लाइसेंस को अस्थाई रूप से ठेला, रेहडी तथा ढाबा लगाने वाले लोगों को लगाना होगा. क्योंकि हर साल बहुत से अन्य राज्यों से लोग भी यहां पर आते हैं. जिससे यात्रा के दौरान कई प्रकार की घटनाएं देखने को मिली है, इससे बचने के लिए इस प्रकार का फैसला दिया गया है.


उत्तराखंड में भी कावड़ यात्रा को लेकर ठेला रेडी और ढाबे वालों को अपना प्रोपराइटर लिखने अपना लाइसेंस तथा अपना आधार कार्ड पास रखने के निर्देश दिए गए है. हरिद्वार में करोड़ों की संख्या में कांवड़िए आते है गंगा से जल भरने आते हैं.


जानें- क्यों लिया गया ये फैसला?
दरअसल पिछले साल भी इस तरह की मांग उठी थी. जब योग साधना आश्रम के गुरु यशवीर महाराज ने हरिद्वार से पूरे मार्ग पर कई मुस्लिमों द्वारा अपनी दुकानों पर हिन्दू देवी देवताओं का तस्वीर लगाने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि इन दुकानों पर काम करने वाले लोगों को नाम लिखना चाहिए ताकि कांवड़ियों को पता लग सके कि वो कहां बैठकर खाना खा रहे हैं. इसके बाद कई ढाबों से हिन्दू देवी देवताओं की तस्वीरें भी हटवाई गई थीं, लेकिन इस बार सरकार ने सभी को नाम लिखने का आदेश जारी कर दिया है.


बीजेपी नेताओं ने किया स्वागत
दुकानों पर नेमप्लेट लिखने के आदेश का बीजेपी ने स्वागत किया है. यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा, निश्चित रूप से ये स्वागत योग्य कदम है. इस आदेश में यह नहीं कहा गया है कि किसे कहां से सामान खरीदना है. जो जहां से चाहे वहां से सामान खरीद सकता है. इसमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जो व्रत, त्योहार, कांवड़ यात्रा के कुछ नियम हैं उनका उल्लंघन न हो. इसी नीयत से ये फ़ैसला लिया गया है. 


विपक्षी दलों ने उठाए सवाल
दूसरी तरफ इस मामले को लेकर सियासत भी तेज हो गई है. विपक्षी दलों समेत कई एनडीए के सहयोगियों ने भी इस पर सवाल उठाए हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस आदेश का समाजिक अपराध बताया है तो वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने भी बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि इससे हमारे देश में भाई चारे की भावनाओं को खराब करने की कोशिश की जा रही हैं. इस फैसले को तत्काल निरस्त करना चाहिए. बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे असंवैधानिक बताया और सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की. 


दुकानों पर नाम लिखने के आदेश का सिर्फ विपक्षी दल ही नहीं एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल और जेडीयू ने भी नाराजगी जाहिर की है. रालोद नेता रामाषीश राय ने कहा कि इससे समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा.  


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