Kargil Vijay Diwas 2024: आज देश भर में कारगिल युद्ध विजय को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. इसी क्रम में आज उत्तराखंड में भी शौर्य दिवस काफी धूमधाम से मनाया जा रहा है. प्रदेश के विभिन्न इलाकों में कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए तमाम शहीदों की समाधियों पर श्रद्धांजलि दी जा रही है. वहीं उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी आज गांधी पार्क स्थित शहीद स्मारक पर जाकर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रद्धांजलि दी और देश के वीर जवानों को याद किया. इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जवानों के लिए एक बड़ी घोषणा की है, जिसके बाद तमाम सैन्य परिवारों में खुशी देखने को मिल रही है.


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारे प्रदेश के जवान देश की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने में सबसे आगे रहते हैं. ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि अपने जवानों के लिए जनता से विचार करें उनके परिवारों के बारे में ध्यान दें इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो बड़ी घोषणाएं की है. एक घोषणा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की है कि प्रदेश के किसी भी जवान के बॉर्डर पर शहीद होने के बाद उसे पहले जो धारणाशी प्रदेश सरकार की ओर से दी जाती थी उसे कई गुना बढ़ा दिया गया है जैसे कि पहले कोई जवान अगर शहीद होता था तो उस के परिवार को राज्य सरकार की ओर से 10 लख रुपए की धनराशि दी जाती थी, लेकिन अब इस धनराशि को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा कर 50 लाख रुपए कर दिया है. 


सैनिकों के लिए सीएम धामी ने की बड़ी घोषणाएं 


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक और बड़ी घोषणा की है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि जो भी सैनिक सेवा से रिटायर्ड होने के बाद प्रदेश में नौकरियों में सेवा करना चाहते हैं तो उनके लिए सबसे पहले स्थान रहेगा. प्रदेश सरकार ने व्यवस्था की है कि जहां पहले शहर से रिटायर होने के बाद सैनिक को 2 साल का समय दिया जाता था कि वह नौकरी के लिए अप्लाई कर सकता है. अब इस समय सीमा को बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है.


''सैनिकों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य''


वही जहां सैनिकों को कुछ विभागों में पहले नौकरी के लिए आवेदन करना होता था अब कई विभागों में इसकी व्यवस्था कर दी गई है, जहां इन सैनिकों को पहले वार्ता दी जाएगी. इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा करते हुए कहा कि देश के सैनिक हमारे लिए गर्व है और उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य बनता है. हमारी यह छोटी से पहल है, जिसे फिलहाल हम शुरू करने जा रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि यह सैनिकों के लिए काफी है. इससे आगे भी राज्य सरकार काम करने की सोच रही है.


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